सरकारी मदद के बावजूद तकलीफ में हैं कलाकार
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सामाजिक समस्याओं व सरकारी योजनाओं के गीत गाते हैं बाउल
सरकारी मदद के बावजूद तकलीफ में हैं कलाकार कालियागंज : समाज में प्रतिदिन घटती घटनाओं व सरकार की विभिन्न योजनाओं पर गीत बनाकर उसे बाउल सुर में पिरोकर गाना हीं बाउल विनय मोहंत का मूल मंत्र है. उत्तर दिनाजपुर जिले के कालियागंज ब्लॉक के पुरिया उत्तर गोविंदपुर गांव में रहकर ही उन्होंने बाउल गान सीखा. […]
कालियागंज : समाज में प्रतिदिन घटती घटनाओं व सरकार की विभिन्न योजनाओं पर गीत बनाकर उसे बाउल सुर में पिरोकर गाना हीं बाउल विनय मोहंत का मूल मंत्र है. उत्तर दिनाजपुर जिले के कालियागंज ब्लॉक के पुरिया उत्तर गोविंदपुर गांव में रहकर ही उन्होंने बाउल गान सीखा. उन्होंने स्वर्गीय बलहरी दास गोसाई, सदानंद मोहंत, जतीन मोहंत एवं दीपु साधु के पास उन्होंने संगीत की शिक्षा ली है. फिर उन्होंने अपने ससुर स्वर्गीय सुरेंद्र नाथ दास से बाउल संगीत की तालीम ली.
बाउल विनय कृष्ण मोहंत ने साक्षातकार में बताया कि 2000 साल एवं 2001 साल में वह कोलकाता के जेएमडी साउंड कंपनी से दो बाउल एलबम भी निकाले हैं.
इसके बाद से उनका विभिन्न स्थानों से बुलावा आने लगा. एकबार वह दूरदर्शन पर भी गा चुके हैं. उन्होंने बीरभूम के सिउड़ी में आयोजित 19 जिला बाउल संगीत प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. जहां वह 21 वें राज्य नव साक्षर बाउल संगीत प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ हुये. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार लोक कलाकारों को प्रतिमाह एक हजार रुपये भत्ता देती है.
साथ ही उन्हें परिचय पत्र मिलने से कलाकारों को सम्मान भी मिलते हैं. हालांकि उन्होंने भत्ता कुछ बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उनकी नियमित कोई रोजगार नहीं है. काफी तकलीफों के बीच परिवार चलाना पड़ता है.
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