सुरक्षा में सुधार एवं परिचालन क्षमता में हुई वृद्धि
सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के सिग्नल एवं दूरसंचार संस्थान ने पिछले कुछ महीनों के दौरान कई कदम उठाएं हैं, जिसके परिणामस्वरूप ट्रेनों के परिचालन के दौरान सुरक्षा में सुधार होने के साथ सम्पत्तियों की विश्वसनीयता में वृद्धि हुई है और निर्धारित समय में यात्रा में सुधार आया है. पू. सी. रेल के सिग्नल एवं दूरसंचार संस्थान ने पू. सी. रेल के 168 स्टेशनों में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की स्थापना की है.
पुरानी यांत्रिक इंटरलॉकिंग प्रणाली की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग बेहतर विश्वसनीयता से कार्य करती है और ट्रेनों की त्वरित एवं सुरक्षित परिचालन में सहायक होती है. इसी तरह, पू. सी. रेल के 337 ब्लॉक अनुभागों में ब्लॉक प्रूविंग एक्सल काउंटर मशीनों की स्थापना की गई है. यह ट्रेन के एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक यात्रा के दौरान ट्रेन के पृथक होने का पता लगाता है. सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा में सुधार के लिए अभी तक कुल 554 नंबर लेवल क्रॉसिंग गेट को पास के स्टेशनों के सिग्नल के साथ इंटरलॉक किया गया है.
अधिकतम कार्यशीलता के लिए विभिन्न उपकरणों के लिए विश्वसनीय एवं स्थित विद्युत आपूर्ति में सहायता प्रदान करने के लिए एकीकृत विद्युत आपूर्ति प्रणाली की व्यवस्था 362 स्टेशनों में की गई है. इसी तरह ट्रेनों की आवाजाही की वास्तविक समय निगरानी के साथ सिग्नल सम्पत्तियों की वास्तविक समय आकलन प्रदान करने वाली डेटा लॉगर मशीनें सम्पूर्ण पूसी रेल के 375 स्टेशनों पर प्रदान की गई है.
इसी तरह ट्रेनों के परिचालन समय में कटौती कर अनुभागीय क्षमता में सुधार लाने के लिए पू. सी. रेल के 110 ब्लॉक अनुभागों में यूनिवर्सल फेल-सेफ ब्लॉक इंटरफेस प्रदान किए गए हैं. 371 स्थानों पर वर्तमान मैनुअल लिफ्टिंग बैरियर ग्टों के स्थान पर इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर की व्यवस्था की गई है. जिसके परिणाम स्वरूप त्रुटि में कमी तथा सुरक्षा एवं समय की पाबंद में सुधार हुआ है.
गेट बैरियर के टूटने के कारण त्रुटि सुधार समय को कम करने के लिए कुल 106 एलसी गेटों में स्लाइडिंग बूम की व्यवस्था की गई है. उल्लेखनीय है कि रविवार को ही पू.सी. रेल ने कटिहार मंडल के रानीनगर जलपाईगुड़ी जंक्शन-जलपाईगुड़ी-हल्दीबाड़ी सेक्शन में नई इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली द्वारा मैकेनिकल सिग्नलिंग प्रणाली का बदलाव किया है. इसके साथ ही वर्तमान तिथि में पूसी रेल का कोई भी अनुभाग में अब यांत्रिक सिग्नल प्रणाली नहीं बचा है.