बंद मधु चाय बागान में असहाय महसूस कर रहे हैं बुजुर्ग
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बंद बागान में बुजुर्गों के लिए चलायी गयी ‘सहाय योजना’ ठप
बंद मधु चाय बागान में असहाय महसूस कर रहे हैं बुजुर्ग कालचीनी : स्वयं सहायता समूहों के खाते में बकाया रुपये का ढेर लग गया, जिसके कारण बंद मधु चाय बागान में राज्य सरकार की ओर से चलाई गई सहाय योजना ठप हो गयी. भोजन के बिना बंद मधु बागान के लगभग डेढ़ सौ बुजुर्ग […]
कालचीनी : स्वयं सहायता समूहों के खाते में बकाया रुपये का ढेर लग गया, जिसके कारण बंद मधु चाय बागान में राज्य सरकार की ओर से चलाई गई सहाय योजना ठप हो गयी. भोजन के बिना बंद मधु बागान के लगभग डेढ़ सौ बुजुर्ग व्यक्ति दिन गुजारने एवं कुछ इधर-उधर से खाना मांगकर खाने को विवश हो गये हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार अलीपुरदुआर जिले के कालचीनी प्रखंड स्थित मधु चाय बागान विगत 2014 से बंद पड़ा हुआ है. जिसके पश्चात यहां के श्रमिकों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है. कई श्रमिक काम की तलाश में यहां से पलायन कर चुके हैं और कितने ही चिकित्सा के अभाव में मर चुके हैं.
बागान की स्थिति देखते हुए बंद मधु चाय बागान में राज्य सरकार की पहल से श्रमिकों के लिए 15 सौ रुपए करके मासिक फाउलाई, दो रुपये करके जीआर राशन एवं अवकाश प्राप्त बुजुर्ग श्रमिकों के लिए सहाय योजना प्रकल्प शुरू किया गया. इस योजना के तहत बंद पड़े मधु चाय बागान के बुजुर्गों को मुफ्त में दिन में एक बार खाना खिलाया जाता था.
जो कुल छह स्वयं सहायता समूहों के जरिये चलाया जाता था. लेकिन अक्टूबर महीने से स्वयं सहायता समूहों के बैंक खाते में सरकारी पैसा नहीं आने के कारण बागान के किसी भी बुजुर्ग को खाना नहीं मिल पा रहा है. स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने बुजुर्गों को खाना खिलाना बंद कर दिया है. बाध्य होकर बागान के डेढ़ सौ बुजुर्ग व्यक्ति बिना आहार के दिन गुजारने एवं कुछ गरीब बुजुर्ग श्रमिक इधर-उधर से खाना मांग कर खाने पर विवश है.
इस विषय पर बंद मधु चाय बगान के अवकाश प्राप्त श्रमिक रतिया उरांव ने बताया कि हमारा मधु बागान विगत पांच वर्षों से बंद पड़ा है और बागान बंद होने के बाद हमें यहां खाना दिया जाता था. तीन वक्त की जगह एक वक्त ही सही हम खाना खाकर दिन गुजारा करते थे, लेकिन विगत 4 महीने से हमें खाना नही मिल रहा. पहले जो खाना मिलता था अब उसे भी बंद कर दिया गया है जिससे हम सब बेहद तकलीफ में दिन गुजार रहे हैं.
वहीं बागान की अन्य असहाय वृद्ध महिला घुरू उरांव ने अपना दुःख जाहिर करते हुए बताया कि बागान बंद होने के बाद हमें जो भात और दाल मिलता था. अब उसे भी बंद कर दिया गया है. जिसके कारण हम इधर-उधर मांग कर खाने को विवश हैं. उन्होंने कहा कि हमें सुनने को मिला है कि हमें खाना बनाकर जो खिलाया करते थे, शायद उन्हें भी योजना का पैसा नहीं मिल रहा इसीलिए वह भी खाना नहीं बना रहे हैं.
इस विषय में बुजुर्गों को खाना खिला रही स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि कैसे हम खाना खिलाए. खिलाते-खिलाते हमारे ग्रुप के खाते का समस्त पैसा खाली पड़ गया है. हम अपने निजी पैसे को भी खत्म कर चुके हैं. दुकानों में बकाया नहीं दे पाए हैं क्योंकि प्रकल्प का पैसा हम अब तक हमारे दल के खाते में आया है.
इस विषय पर कालचीनी पंचायत समिति के सह सभापति बबलू मुखर्जी ने बताया कि जानकारी मिलते हमने छानबीन की है और पता चला है कि यहां काम कर रही स्वयं सहायता समूह का पैसा बकाया हैं. उन्होंने कहा हम इस विषय को गंभीरता से देख रहे हैं जिससे जल्द से जल्द बकाया पैसा स्वयं सहायता समूह के खाते में घुसे और यह प्रकल्प पहले की तरह सुचारू रूप से चालू हो सके.
इस विषय में कालचीनी के बीडीओ भूषण शेरपा ने बताया कि सहाय बंधु प्रकल्प राज्य सरकार के आनंद धारा के तहत स्वयं सहायता समूह के द्वारा खाना खिलाया जाता था लेकिन बंद मधु चाय बागान के बुजुर्गों को प्रकल्प के तहत खाना नहीं मिल रहा इस विषय में हमें जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा इस विषय की जानकारी मैंने तुरंत जिला अधिकारी को दे दी है और जल्द से जल्द बकाया रकम भुगतान कर दिया जायेगा.
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