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स्मार्ट सिटी की दौड़ में पिछड़ा पश्चिम बंगाल
सभी राज्यों को अब तक 18614.10 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने दिये नयी दिल्ली : देश के सौ शहरों को अत्याधुनिक नागरिक सुविधाओं से लैस करने के लिए शुरू की गयी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘स्मार्ट सिटी परियोजना’ में पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्य फिसड्डी साबित हो रहे हैं, वहीं, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश […]
सभी राज्यों को अब तक 18614.10 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने दिये
नयी दिल्ली : देश के सौ शहरों को अत्याधुनिक नागरिक सुविधाओं से लैस करने के लिए शुरू की गयी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘स्मार्ट सिटी परियोजना’ में पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्य फिसड्डी साबित हो रहे हैं, वहीं, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और गुजरात इस मामले में काफी आगे हैं. ईज ऑफ लिविंग के लिए आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जून, 2015 में शुरू की गयी इस परियोजना की प्रगति की राज्यवार समीक्षा के मुताबिक, पिछले पांच सालों में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत केंद्र की ओर से जारी राशि में से राज्य अभी आधी राशि का ही इस्तेमाल कर पाये हैं.
मंत्रालय द्वारा संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच साल में सभी राज्यों के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अब तक 18614.10 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता राशि जारी की गयी.
राज्य इसमें से 9497.09 करोड़ रुपये (51 प्रतिशत) का इस्तेमाल कर पाये हैं. इसके अनुसार, स्मार्ट सिटी के तहत इन शहरों में चल रहीं विभिन्न परियोजनाओं की पूर्वोत्तर राज्यों में न सिर्फ गति बहुत धीमी है, बल्कि तमाम शहर केंद्रीय राशि का पैसा भी खर्च करने में सुस्त हैं.
हालांकि, उत्तर प्रदेश और और पश्चिम बंगाल के कुछ शहरों को केंद्र द्वारा पांच साल में महज दो करोड़ रुपये ही जारी किये जाने के कारण इन शहरों में परियोजनाएं सुस्त हैं. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ और रामपुर, पश्चिम बंगाल के विधाननगर, दुर्गापुर और हल्दिया, महाराष्ट्र में ग्रेटर मुंबई और अमरावती तथा तमिलनाडु के डिंडीगुल को पांच साल में महज दो करोड़ रुपये ही केंद्रीय राशि मिली है.
मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश व गुजरात सबसे आगे
5151 परियोजनाओं के प्रस्ताव केंद्र को मिले
स्मार्ट सिटी की दौड़ में मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और गुजरात सबसे आगे हैं. मध्य प्रदेश ने 300 स्वीकृत परियोजनाओं में से 265 परियोजनाएं पूरी कर ली हैं. वहीं, कर्नाटक में 193, उत्तर प्रदेश में 136 और गुजरात में 131 परियोजनाएं पूरी हो गयी हैं. पश्चिम बंगाल के न्यू टाउन में 56 में से चार परियोजनाएं पूरी हो सकीं. इस साल 15 नवंबर तक 100 शहरों की ओर से 2.05 लाख करोड़ की लागतवालीं कुल 5151 परियोजनाओं के प्रस्ताव केंद्र को मिले. इनमें से 3,376 पर काम जारी है. 1,296 परियोजनाएं पूरी कर ली गयी हैं.
असम को छोड़ पूर्वोत्तर के राज्य फिसड्डी
अरुणाचल प्रदेश के दो शहरों में एक भी परियोजना अब तक पूरी नहीं हो पायी है, जबकि असम के गुवाहटी में अबतक सिर्फ पांच परियोजनाओं पर काम शुरू हो पाया, इनमें से दो ही पूरी हो पायी. मणिपुर और मेघालय का रिपोर्ट कार्ड भी शून्य है और सिक्किम में सिर्फ एक परियोजना पूरी हुई. इस मामले में सिर्फ त्रिपुरा, नगालैंड और मिजोरम में लगभग आधी परियोजनाएं पूरी हो पायीं हैं. जम्मू-कश्मीर के दोनों शहरों जम्मू और श्रीनगर की 20 स्वीकृत परियोजनाओं में से एक भी पूरी नहीं हो सकी है.
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