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वन विभाग के कुत्ते ‘करीम’ ने खुद को साबित किया सर्वश्रेष्ठ

बक्सा बाघ परियोजना के जंगल में तैनात है करीम वाइल्ड लाइफ ट्रेड मॉनिटरिंग नेटवर्क ट्रायल में किया उत्कृष्ट प्रदर्शन कालचीनी :पूरे देश में कालचीनी ब्लॉक में स्थित बॉक्सा बाघ परियोजना के बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के ‘करीम’ नामक कुत्ते ने पहचान बनायी है. वन विभाग के सभी कुत्तों के बीच इस बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के कुत्ते […]

बक्सा बाघ परियोजना के जंगल में तैनात है करीम

वाइल्ड लाइफ ट्रेड मॉनिटरिंग नेटवर्क ट्रायल में किया उत्कृष्ट प्रदर्शन
कालचीनी :पूरे देश में कालचीनी ब्लॉक में स्थित बॉक्सा बाघ परियोजना के बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के ‘करीम’ नामक कुत्ते ने पहचान बनायी है. वन विभाग के सभी कुत्तों के बीच इस बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के कुत्ते को रैंकिंग स्थान दिया गया है. वाइल्ड लाइफ ट्रेड मॉनिटरिंग नेटवर्क (ट्रैफिक) ट्रायल में बॉक्सा बाघ परियोजना के इस कुत्ते ने काम के आधार पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है.
उल्लेखनीय है कि विगत 2018 वर्ष के 22 दिसंबर को राज्य वनविभाग के द्वारा इस कुत्ते को बक्सा बाघ परियोजना के जंगल में तैनात किया गया था, उसी दिन उत्तरी बंगाल में महानंदा और दक्षिणी बंगाल के सुंदरवन में एक-एक करके बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के कुत्ते को तैनात किया गया था. लेकिन इनमें से बाक्सा बाघ परियोजना के करीम नामक इस कुत्ते ने सबसे अच्छा रैंक हासिल किया है. करीम की वर्तमान आयु 2 वर्ष 10 माह है. मात्र 1 वर्ष 2 माह के उम्र में इसे बक्सा बाघ परियोजना के जंगल में इसे शामिल किया गया. करीम ने एक साल आठ महीने में खुद को देश में सर्वश्रेष्ठ साबित किया.
करीम ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ‘नेशनल सेंटर फॉर डॉग ट्रेनिंग’ में शामिल होने से पहले छह महीने की विशेष ट्रेनिंग ली थी. उन्हें ट्रैफिक यानी वाइल्डलाइफ ट्रेड मॉनिटरिंग नेटवर्क द्वारा प्रशिक्षित किया गया है. इसे विशेष रूप से जंगली जानवरों के शरीर को खोजने और शिकारियों को पकड़ने के लिए प्रशिक्षित किया गया है.
करीम की इस सफलता से बॉक्सा टाइगर प्रोजेक्ट के अधिकारीगण बहुत खुश हैं. इस विषय मे बॉक्सा बाघ परियोजना के फील्ड ऑफिसर शुभंकर सेनगुप्ता ने कहा, “हम करीम की सफलता से बहुत खुश हैं. वर्तमान में करीम मूलतः बक्सा बाघ परियोजना के पश्चिमी भाग में पहरेदारी के साथ-साथ कई अन्य-अन्य कार्य किया करता है. उन्होंने कहा करीम जंगली जानवर के शव को खोजने या तस्कर को पकड़ने के लिए बहुत सख्त है एवं बॉक्सा बाघ परियोजना के पूर्वी खंड में एक और प्रशिक्षित कुत्ता तैनात किया गया है. उन्होंने कहा उल्लेखनीय है कि बॉक्सा बाघ परियोजना का जंगल एक भौगोलिक बिंदु से बहुत महत्वपूर्ण है.
असम बंगाल भूटान सीमा से घिरे इस जंगल में तस्करों को आते-जाते कई बार देखा गया है. एवं पास में गेंडों का निवास स्थान जल्दापाड़ा व गोरुमारा जंगल स्थित है. उन्हीने अंत मे कहा इस कुत्ते को बॉक्सा बाघ परियोजना के राजाभातखावा में वीवीआईपी ट्रीटमेंट में रखा गया है. करीम के लिए पहले से ही एक 12 फुट लंबा घर भी बनाया गया है.

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