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स्कूल जाने के लिए आठ किलोमीटर पैदल चलते हैं बच्चे

नागराकाटा : स्कूल आने के लिए आठ किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है. अन्य बच्चों के लिए गाड़ी की व्यवस्था होने के बावजूद इनलोगों के लिए नहीं है. इसलिए लुकसान के लाल बहादुर शास्त्री स्कूल में अध्ययन करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है. यहां तक की कई विद्यार्थियों ने बीच […]

नागराकाटा : स्कूल आने के लिए आठ किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है. अन्य बच्चों के लिए गाड़ी की व्यवस्था होने के बावजूद इनलोगों के लिए नहीं है. इसलिए लुकसान के लाल बहादुर शास्त्री स्कूल में अध्ययन करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है. यहां तक की कई विद्यार्थियों ने बीच में ही स्कूल जाना छोड़ दिया है.

इस तरह कई वर्षों से प्रतिदिन इस तरह जटिल प्रपरिस्थित के शिकार होनेवाले छात्र-छात्राएं नागराकाटा ब्लॉक स्थित गठिया चाय बागान के हैं. विद्यार्थियों के इस जटिल समस्या के समाधान के लिए विद्यालय के बागान प्रबंधक से लेकर प्रशासन के समक्ष भी गुहार लगायी है.
जिस गठिया चाय बागान से विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते है. उसी चाय बागान में नागराकाटा विधायक सुकरा मुंडा भी रहते हैं. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की इस समस्या के बारे में जानकारी है. किस तरह विद्यार्थियों के समस्या का समाधान किया जाएगा, इसके लिए जरुरी पद्क्षेप लिया जा रहा है. चाय बागान के प्रबंधक नवीन मित्र ने कहा कि स्कूल बस के लिए विद्यार्थियों की ओर से कोई मांग पत्र मेरे समक्ष नहीं पहुंचा है.
पूरे दिन चाय बागान से स्कूल बस आठ बार आवागमन करती हैं. साढ़े तीन सौ छात्र-छात्राओं को नागराकाटा ब्लॉक के विभिन्न विद्यालयों में पहुंचाया और लाया जाता है. संपूर्ण इलाके में सबसे ज्यादा संख्या में हमारे इलाके से ही छात्र-छात्राओं को स्कूल पहुंचाने का काम किया जाता है. चाय बागान की वर्तमान आर्थिक अवस्था में लुकसान के विद्यार्थियों को अलग से स्कूल बस देना संभव नहीं है. हमें लगता है कि प्रशासन को इस विषय पर जरुरी कदम उठाना चाहिए.
विद्यालय के शिक्षक टिकाराम छेत्री ने बताया कि दिन-प्रतिदिन गठिया चाय बागान से हमारे विद्यालय में आनेवाले विद्यार्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. विद्यार्थियों को लंबी दूरी तय कर स्कूल आना पड़ता है. जिसके कारण कई विद्यार्थी स्कूल नियमित रुप से नहीं आ रहे है. जबकि कई विद्यार्थी ड्रॉप आउट रजिस्टर में अपना नाम दर्ज करा रहे है. स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गठिया चाय बागान से आनेवाले विद्यार्थी चाय बागान के बासबाड़ी लाइन, बिरसा, दशा, सेते, चामु, विगलु लाईन जैसे श्रमिक मोहल्ला से आते हैं.
चाय बागान से करीब 200 से अधिक बच्चे स्कूल में अध्ययन करने के लिए आते हैं. चाय बागान के भूटान सीमांत स्थित गांव से भी विद्यार्थी आते हैं. वहां से विद्यालय की दूरी सात किलोमीटर से लेकर आठ किलोमीटर पड़ता है. जिस रास्ते से होकर विद्यार्थी आते हैं, वह रास्ता सुनसान और चारो ओर चाय बागान से घिरा हुआ है. इस कारण से विद्यार्थियों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार सबूज साथी के तहत जो साईकल विद्यार्थियों को दिया जाता है. वह कक्षा नौ से विद्यार्थियों को दिया जाता है. इसबार कक्षा नौ के विद्यार्थियों को दिये जानेवाले साईकिल अभी तक नहीं मिलने के बाद विद्यालय की ओर बताया गया है. चाय बागान की फैक्ट्री लाईन के कक्षा नौ में अध्ययन करनेवाली पल्लबी कुजूर ने कहा कि सभी छोटे-छोटे बच्चों को इकट्ठा करते हैं और पैदल चलना शुरु करते हैं.
रास्ते में काफी भय रहता है. कक्षा दस में अध्यन करनेवाली पल्लवी उरांव ने कहा कि स्कूल आनेजाने के लिए जितना हमें पैदल दूरी तय करना पड़ता है कि घर पहुचकर हमें कुछ करने का मन नहीं लगता है. शरीर थक जाता है. इस कारण से पढ़ाई लिखाई की हानि होती है. गठिया बासबाड़ी लाईन की नीतू उरांव, रंजिता नायक, प्रीतिका तमांग का कहना है कि स्कूल आनेजाने के लिए अन्य विद्यार्थियों के लिए बस सेवा दिया जाता है, लेकिन हमें क्यों नहीं दिया जाता, में कुछ समक्ष में नहीं आता.

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