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बालू व पत्थर उठाव पर रोक से चहुंओर हाहाकार, निर्माण कार्य ठप, रोक हटाने की मांग

सिलीगुड़ी : बरसात के समय तीन महीने के लिए नदियों से बालू-पत्थर निकालने पर सरकारी रोक लगा दी गयी है. उसके बाद से सिलीगुड़ी सहित पूरे उत्तर बंगाल में हाहाकार मच गया है. एक तरह से कहें तो निर्माण कार्य पर पूरी तरह से ब्रेक लग गया है. इतना ही नहीं राज्य सरकार के इस […]

सिलीगुड़ी : बरसात के समय तीन महीने के लिए नदियों से बालू-पत्थर निकालने पर सरकारी रोक लगा दी गयी है. उसके बाद से सिलीगुड़ी सहित पूरे उत्तर बंगाल में हाहाकार मच गया है. एक तरह से कहें तो निर्माण कार्य पर पूरी तरह से ब्रेक लग गया है. इतना ही नहीं राज्य सरकार के इस निर्देश के बाद भारत-बांग्लादेश सीमांत फूलबाड़ी से बांग्लादेश के साथ व्यवसाय भी ठप हो गया है.
बोल्डर निर्यात करने वाले व्यवसायी इस निर्देश को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ सिलीगुड़ी व आस-पास के इलाके में जारी निर्माण कार्य भी ठप हो गया है. सिर्फ इतना ही नहीं बरसात के मौसम में तीन महीने तक नदी से बालू-पत्थर निकालने पर रोक से बड़ी संख्या में दैनिक मजदूरों के सामने भूखे मरने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. दुर्गापूजा के पहले अंतराष्ट्रीय व्यापार से जुड़े लोग, व्यापारी तथा गरीब श्रमिक व उनके परिवार के सामने एक विकट परस्थिति खड़ी हो गयी है.
बीते 3 अगस्त को राज्य सरकार ने तीन महीने तक नदियों से बालू-पत्थर निकालने पर निषेधाज्ञा जारी किया. सरकारी निर्देशानुसार वर्षाकाल के तीन महीने नदियों से बालू-पत्थर नहीं निकालने से नदियों का मार्ग पूर्ववत बना रहेगा और कटाव की स्थिति कम पैदा होगी. जबकि नदियों से बालू-पत्थर निकालने के व्यवसाय पर एक बड़ी जनसंख्या निर्भर है. सिलीगुड़ी के निकट स्थित भारत-बांग्लादेश सीमांत फूलबाड़ी इमिग्रेशन सेंटर से बड़े पैमाने पर बांग्लादेश को बोल्डर का निर्यात होता है.
नदियों इस सरकारी निर्देश के बाद बोल्डर निर्यात व्यवसाय भी ठप है. बोल्डर निर्यात ठप होने से सिर्फ इस पार ही नहीं बल्कि उसपार बांग्लादेश में भी असर हुआ है. बांग्लादेश में भी काफी संख्या में श्रमिकों के सामने बोरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
दुर्गा पूजा से पहले बड़ा झटका
मिली जानकारी के अनुसार फूलबाड़ी सीमांत से रोजाना 150 से 200 बोल्डरों से लदे ट्रक बांग्लादेश जाते हैं. जिसमें कई ट्रक भूटान के भी होते हैं. व्यापार ठप होने से बोल्डर ढोने वाले ट्रक का चक्का थम गया है. ट्रक चालक, खलासी व मालिक की परेशानी लगातार बढ़ रही है. वहीं दूसरी ओर नदियों से बोल्डर निकालने वाले तथा ट्रकों में लोड करने वाले श्रमिक भी बेरोजगार हो गये हैं.
निर्माण कार्य रूकने से कंस्ट्रक्शन साईट पर काम करने वाले मजदूर और उनके परिवारों के सामने भूखे मरने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. राज्य का सबसे बड़ा त्यौहार दुर्गापूजा को करीब दो माह ही बचे हैं. दुर्गापूजा के पहले ऐसी परिस्थिति से मजदूर व ट्रक मालिकों की परेशानी बढ़ गयी है.
एक ट्रक पर कई परिवार निर्भर
बालू-पत्थर ढोने वाले ट्रकों में से प्रत्येक ट्रक में कम से कम चार मजदूर, एक चालक व एक खलासी के साथ ट्रक मालिक के परिवार का भरण-पोषण निर्भर करता है. बालू-पत्थर के साथ कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले मजदूरों की रोजी-रोटी भी इसी से चलती है.
हार्डवेयर कारोबार भी प्रभाव
इस निर्देश से सीमेंट, रॉड, हार्डवेयर आदि व्यवसाय पर भी असर हुआ है. फूलबाड़ी एक्सपोर्टर्स एंड इम्पोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल खालेक ने बताया कि दो सौ ट्रक रोजाना बांग्लादेश जाते हैं. जबकि 500 से अधिक ट्रकें सीमांत पर खड़ी रहती है. सरकारी निर्देश का व्यवसाय पर काफी असर हुआ है. ट्रक चालक, खलासी, ट्रक मालिक, एक्सपोर्टर्स के साथ नदियों से बालू-पत्थर निकालने वाले मजदूर के सामने एक समस्या खड़ी हो गयी है. नदियों से बालू-पत्थर निकालने की निषेधाज्ञा को जल्द वापस लेकर स्थिति सामान्य करने की मांग उन्होंने की है.
क्या कहना है ट्रक मालिकों का
नदियों से बालू-बजरी कंस्ट्रक्शन साइट तक पहुंचाने वाले ट्रक मालिक पोंचू सरकार ने बताया कि अचानक इस प्रकार के निर्देश से सरकार ने दुर्गा पूजा के पहले ट्रक मालिकों व मजदूरों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. उन्होंने आगे कहा कि एक ट्रक से कई परिवारों का भरण-पोषण निर्भर करता है.
इसके साथ निर्माण करने वाले मजदूर भी तीन महीने के लिए बेकार हो गये हैं. इस तरह की जानकारी पहले से होने पर वैकल्पिक व्यवस्था किया जाना संभव है लेकिन दुर्गापूजा के पहले अचानक ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होने से हम सभी काफी परेशान है. भूखे मरने जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है.

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