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महिलाएं बदल रहीं किडनी-ग्राम की तस्वीर, किडनी तस्करों का स्वर्ग रह चुका है बिंदोल गांव

रायगंज : उत्तर दिनाजपुर जिले का बिंदोल गांव कभी किडनी-ग्राम के नाम से मशहूर था. यहां के गरीब मजदूरों को चंद रुपयों का लालच देकर किडनी तस्कर उनकी किडनी निकाल लिया करते थे. हालत ऐसी है कि इस गांव का विरला ही कोई पुरुष होगा जिसकी एक किडनी नहीं निकाल ली गयी हो. लेकिन गांव […]

रायगंज : उत्तर दिनाजपुर जिले का बिंदोल गांव कभी किडनी-ग्राम के नाम से मशहूर था. यहां के गरीब मजदूरों को चंद रुपयों का लालच देकर किडनी तस्कर उनकी किडनी निकाल लिया करते थे. हालत ऐसी है कि इस गांव का विरला ही कोई पुरुष होगा जिसकी एक किडनी नहीं निकाल ली गयी हो. लेकिन गांव की कई महिलाओं ने एक मंच बनाकर गांव की तस्वीर बदल दी है.
गांव की 18 महिलाओं ने रायगंज में श्रीपुर महिला व खादी उन्नयन समिति का गठन कर किडनी तस्करों के खिलाफ लगातार मुहिम चलायी. आज इस समिति में 70 महिलाएं बिंदोल की तस्वीर बदलने के अभियान में जुटी हुई हैं. इन महिलाओं के प्रयास से किडनी तस्करों का कारोबार बहुत ही कम रह गया है.
वर्ष 2015 में बिंदोल गांव के एक कार्यक्रम में आयी राज्य की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री डॉ शशि पांजा ने समिति के कामकाज की प्रशंसा की थी. समिति ने बिंदोल के सीमावर्ती बाज-बिंदोल, जालीपाड़ा, बालियादीघी, अंतरा, बिसराइल और कइलाडांगी समेत 10 गांवों में बहुमुखी योजनाओं पर काम कर रही है. जवा ने बताया कि जिले में प्रमुख समस्या नारी तस्करों की है. समिति ने इस समस्या के समाधान के लिए काम किया है.
अभी तक नारी तस्कर गिरोहों के चंगुल से 52 महिलाओं को मुक्त कराया गया है. इनके अलावा समिति बाल विवाह रोकने, स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ने के लिए शिक्षा आपूर्ति केन्द्र और चाइल्ड क्लब की स्थापना की है. साथ ही रोजगारपरक प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जा रही है.
जवा भट्टाचार्य और उनकी सहयोगी तमा गोस्वामी ने बताया कि चाइल्ड क्लब के माध्यम से बच्चों को जागरूक किया जा रहा है. बिंदोल में सहायक शिक्षा केन्द्र के माध्यम से नि:शुल्क कोचिंग क्लास चलायी जा रही हैं. सरकारी योजनाओं के साथ समन्वय कर महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं.
महिलाओं ने मंच बना कर शुरू किया रोजी-रोजगार
समिति की सचिव जवा भट्टाचार्य ने बताया कि उनका संगठन बहुत जल्द किडनी तस्करों का नामोनिशान मिटा देगा. उन्होंने बताया कि गांव के अधिकतर लोग मजदूर वर्ग से हैं.
यह लोग काम की तलाश में बाहर जाया करते थे. इसी का नाजायज फायदा उठाकर तस्कर गिरोह इन्हें सब्जबाग दिखाकर दूसरे राज्यों में ले जाते थे. वहीं पर थोड़े से पैसे देकर उनकी किडनी निकाल ली जाती थी. स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने के लिए भी समिति काम करती है.
इससे किडनी तस्कर बेअसर होते गये. रोजगार उपलब्ध कराने के अलावा समिति नारी अधिकार की रक्षा, बच्चों के अधिकार की रक्षा और आर्थिक विकास के लिए रचनात्मक काम करती है. समिति बिंदोल के अलावा करीब तीन दशकों से रायगंज, कालियागंज, इटाहार और करणदीघी के पिछड़े इलाकों में काम कर रही है.

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