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बामनीजोरा नदी पर पक्का पुल वर्षों से अधूरा

नक्सलबाड़ी: नक्सलबाड़ी ब्लॉक की हाथीघीसा ग्राम पंचायत में बामनीजोरा नदी पर पक्का पुल बनाने के लिए 2012-13 साल में रुपये अनुमोदित तो हो गये, लेकिन आज तक पुल बनकर तैयार नहीं हो पाया. उत्तर बंगाल विकास विभाग की ओर से पुल निर्माण का काम शुरू भी हुआ था, लेकिन सिर्फ तीन खंभे बनाने के बाद […]

नक्सलबाड़ी: नक्सलबाड़ी ब्लॉक की हाथीघीसा ग्राम पंचायत में बामनीजोरा नदी पर पक्का पुल बनाने के लिए 2012-13 साल में रुपये अनुमोदित तो हो गये, लेकिन आज तक पुल बनकर तैयार नहीं हो पाया. उत्तर बंगाल विकास विभाग की ओर से पुल निर्माण का काम शुरू भी हुआ था, लेकिन सिर्फ तीन खंभे बनाने के बाद किसी अज्ञात कारण से निर्माण कार्य बंद हो गया. इसके चलते नदी के दोनों ओर के लगभग 10 गांव के लोगों को यातायात में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

जानकारी मिली है कि साल 2012-13 में उत्तर बंगाल विकास विभाग की ओर से हाथीघीसा ग्राम पंचायत के जमीदारगुड़ी और जंगलबस्ती के बीच सम्पर्क स्थापित करनेवाले पुल व सड़क निर्माण के लिए 90 लाख 22 हजार रुपए अनुमोदित किये गये थे. वहां निर्माण कार्य भी शुरू किया गया, लेकिन सिर्फ तीन खंभे बनने के बाद पुल एवं दोनों ओर के सड़कों का निर्माण बंद हो गया.

इलाकावासियों का कहना है कि संबंधित विभाग से राशि अनुमोदित होने के बावजूद निर्माण कार्य पिछले पांच सालों से बंद है. इस कारण उनलोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. निर्माणस्थल पर लगे बोर्ड में तीन महीनों के भीतर निर्माण कार्य को पूरा करने की बात कही गयी थी. लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी पुल व सड़क का काम रुका पड़ा है.

बामनीजोरा नदी पर पुल बनने से जमीदारगुड़ी, जाबरा, बेलगाछी, नेपानिया, बीरसिंह, हाथीघीसा, मल्लिकजोत सहित बड़े इलाके के लोगों को फायदा मिलता. बारिश के समय नदी भयावह रूप धारण कर लेती है. उस दौरान लोगों की दिक्कतें और बढ़ जाती है. इस संबंध में नक्सलबाड़ी ब्लॉक के बीडीओ से लेकर हाथीघीसा ग्राम पंचायत के प्रधान तक के पास कोई जबाव नहीं है. हाथीघीसा निवासी नक्सलबाड़ी पंचायत समिति के पूर्व अध्यक्ष माधव सरकार ने आरोप लगाते हुए कहा कि कहीं तो रुपए अनुमोदित नहीं होने के कारण निर्माण कार्य नहीं होता है, लेकिन यहां तो रुपए अनुमोदित भी हो गये थे, फिर भी निर्माण कार्य नहीं हुआ. आखिर इतनी बड़ी राशि कहां खर्च की गयी?

इलाकावासियों के मन में भी यही सवाल है कि जब रुपये अनुमोदित हो गये थे, फिर निर्माण कार्य क्यों रोका गया है. इधर, इन पांच सालों में सड़कें और भी अधिक टूट-फूट गयी हैं. ऐसे में नदी के दोनों ओर के विस्तीर्ण इलाके के छात्रा-छात्राएं, व्यवसायी सहित इलाकावासियों को विभिन्न परेशानियों के बीच यातायात करना पड़ रहा है. साथ ही इसे लेकर कई सवाल भी हैं.

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