उधर, नगरपालिका प्रशासन का मानना है कि निर्माणाधीन माछ-मांस-सब्जी बाजार बनकर तैयार होने में ज्यादा समय नहीं है. उसके बाद यह समस्या नहीं रहेगी. फिलहाल, अस्थायी बाजार के निचले हिस्से में बालू-बजरी देकर हालात को नियंत्रित करने की चेष्टा की जा रही है.
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माथाभांगा का अस्थायी मछली-मांस बाजार बदहाल
माथाभांगा. नियमित सफाई के अभाव में शहर का अस्थायी मछली-मांस बाजार की हालत इन दिनों बेहाल है. गंदगी और कचरे का यह आलम है कि बदबू के चलते बाजार में प्रवेश करना ही मुश्किल हो गया है. उस पर बरसात ने संकट को और बढ़ा दिया है. स्थिति इतनी कष्टदायक है कि बाजार में चलना […]
माथाभांगा. नियमित सफाई के अभाव में शहर का अस्थायी मछली-मांस बाजार की हालत इन दिनों बेहाल है. गंदगी और कचरे का यह आलम है कि बदबू के चलते बाजार में प्रवेश करना ही मुश्किल हो गया है. उस पर बरसात ने संकट को और बढ़ा दिया है. स्थिति इतनी कष्टदायक है कि बाजार में चलना भी दुष्कर हो गया है. वहीं, व्यवसायियों का आरोप है कि नगरपालिका सबकुछ जानते हुए भी अनजान बनी हुई है. कोई कदम नहीं उठा रही है.
उधर, नगरपालिका प्रशासन का मानना है कि निर्माणाधीन माछ-मांस-सब्जी बाजार बनकर तैयार होने में ज्यादा समय नहीं है. उसके बाद यह समस्या नहीं रहेगी. फिलहाल, अस्थायी बाजार के निचले हिस्से में बालू-बजरी देकर हालात को नियंत्रित करने की चेष्टा की जा रही है.
उल्लेखनीय है कि नये बाजार का निर्माण का कार्य चलने से अस्थायी तौर पर मानसाई नदी के बांध के सामने जंगली कालीबाड़ी संलग्न स्थान में अस्थायी माछ-मांस बाजार बैठाया गया है. खास तौर पर बरसात शुरु होते ही बाजार परिसर कीचड़ से भर जाता है. उस पर कचरों की सफाई नियमित रुप से नहीं होती. इससे समस्या जटिल हो गई है. आरोप है कि इस समस्या के चलते बाजार आने वाले ग्राहकों की तादाद कम हो गई है जिससे व्यवसाय मार खा रहा है. माछ-मांस बाजार तक जाने वाली गली में भी सब्जी बिक्रेता अपनी दुकान लगा रहे हैं. बेकार व नष्ट हुई सब्जी वहां जमा होती है जिसकी सफाई नहीं की जाती. इनकी नगरपालिका नियमित रुप से सफाई नहीं करती. माथाभांगा बाजार व्यवसायी समिति के कार्यकर्ता श्यामल साहा ने कहा, बाजार में निकासी नाला भी नहीं है. इससे गंदा और बरसाती पानी के निलने की कोई जगह नहीं होती. इस वजह से हमारा कारोबार प्रभावित हो रहा है.
इस बारे में नगरपालिका के चेयरमैन लक्षपति प्रामाणिक का कहना है कि कई रोज की बारिश के चलते यह समस्या है. बाजार के निचले हिस्से में बालू-बजरी देकर स्थिति को संभाला जा रहा है. कई रोज बाद बाद कचरों की सफाई होती है. उम्मीद करता हूं कि दुर्गा पूजा के पूर्व अत्याधुनिक माछ-मांस-सब्जी बाजार बनकर तैयार हो जायेगा. यह बाजार चालू होने से वर्तमान संकट दूर हो जायेगा.
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