मिशेल ने बताया कि इंग्लैंड में डुआर्स आर्थोडॉक्स, बैक टी, दार्जीलिंग चाय की बहुत कद्र है. फिलहाल वह श्रीलंका, थाईलैंड, केनिया में घूमकर वहां के छोटे बागानों के पत्ते से तैयार चाय खरीद रही हैं. बड़े बागानों के मुकाबले छोटे बागान कीटनाशक और उर्वरकों का इस्तेमाल कम करते हैं इसलिए उनकी चाय की गुणवत्ता बेहतर होती है. अब वह बंगाल के छोटे बागानों की चाय खरीदने आयी हैं. महिला कारोबारियों का दल दार्जीलिंग पहाड़ भी जाना चाहता था, लेकिन अशांति के कारण नहीं जा पाया.
दार्जीलिंग के सुखियापोखर के छोटे चाय उत्पादक और बॉटलीफ फैक्टरी के मालिक भवेश निरुला ने बताया कि बेक टी का नमूना मिशेल को दिया गया है. वह दार्जीलिंग के छोटे चाय बागानों की चाय खरीदना चाहती हैं.जलपाईगुड़ी जिला लघु चाय किसान समिति के सचिव विजय गोपाल चक्रवर्ती ने बताया कि मिशेल के साथ उनका ऑनलाइन परिचय हुआ. मिशेल और उनकी साथियों ने मयनागुड़ी में बॉटलीफ फैक्टरी का भ्रमण किया. श्री चक्रवर्ती ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि छोटे बागानों की चाय इंग्लैंड के बाजार तक पहुंचेगी.