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इंग्लैंड से महिला व्यापारी पहुंचीं जलपाईगुड़ी

जलपाईगुड़ी. डेढ़ सौ साल से अधिक समय हो गया जब दूर देश इंग्लैंड से अंगरेज व्यापारी उत्तर बंगाल में चाय बागान लगाने आये थे. आज उसी इंग्लैंड से तीन महिला चाय कारोबारी जलपाईगुड़ी के छोटे चाय बागानों से चाय खरीदने पहुंची हैं. शनिवार को इंग्लैंड की चाय कारोबारी मिशेल कमिन्स ने जलपाईगुड़ी और दार्जीलिंग जिले […]

जलपाईगुड़ी. डेढ़ सौ साल से अधिक समय हो गया जब दूर देश इंग्लैंड से अंगरेज व्यापारी उत्तर बंगाल में चाय बागान लगाने आये थे. आज उसी इंग्लैंड से तीन महिला चाय कारोबारी जलपाईगुड़ी के छोटे चाय बागानों से चाय खरीदने पहुंची हैं. शनिवार को इंग्लैंड की चाय कारोबारी मिशेल कमिन्स ने जलपाईगुड़ी और दार्जीलिंग जिले के छोटे चाय उत्पादकों के साथ जलपाईगुड़ी शहर में बैठक की. तीन सदस्यीय चाय व्यवसायियों का एक दल मयनागुड़ी गया और आत्मनिर्भर समूह द्वारा संचालित बॉटलीफ फैक्टरी द्वारा उत्पादित चायपत्ती की गुणवत्ता जांची.
इंग्लैंड के बर्थ शहर में मिशेल की कमिन्स टी कंपनी है. यह कंपनी चाय की खेती से जुड़े उपकरण व अन्य जरूरी चीजें बेचती है और साथ ही दुनिया में घूम-घूमकर छोटे चाय बागानों के कच्चे पत्तों से उत्पादित चाय खरीदती है. मिशेल कमिन्स और उनकी साथी इसी सिलसिले में असम के तेजपुर से होते हुए जलपाईगुड़ी पहुंची हैं. यहां से ये लोग नेपाल जायेंगी.

मिशेल ने बताया कि इंग्लैंड में डुआर्स आर्थोडॉक्स, बैक टी, दार्जीलिंग चाय की बहुत कद्र है. फिलहाल वह श्रीलंका, थाईलैंड, केनिया में घूमकर वहां के छोटे बागानों के पत्ते से तैयार चाय खरीद रही हैं. बड़े बागानों के मुकाबले छोटे बागान कीटनाशक और उर्वरकों का इस्तेमाल कम करते हैं इसलिए उनकी चाय की गुणवत्ता बेहतर होती है. अब वह बंगाल के छोटे बागानों की चाय खरीदने आयी हैं. महिला कारोबारियों का दल दार्जीलिंग पहाड़ भी जाना चाहता था, लेकिन अशांति के कारण नहीं जा पाया.

दार्जीलिंग के सुखियापोखर के छोटे चाय उत्पादक और बॉटलीफ फैक्टरी के मालिक भवेश निरुला ने बताया कि बेक टी का नमूना मिशेल को दिया गया है. वह दार्जीलिंग के छोटे चाय बागानों की चाय खरीदना चाहती हैं.जलपाईगुड़ी जिला लघु चाय किसान समिति के सचिव विजय गोपाल चक्रवर्ती ने बताया कि मिशेल के साथ उनका ऑनलाइन परिचय हुआ. मिशेल और उनकी साथियों ने मयनागुड़ी में बॉटलीफ फैक्टरी का भ्रमण किया. श्री चक्रवर्ती ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि छोटे बागानों की चाय इंग्लैंड के बाजार तक पहुंचेगी.

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