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WB News : परसिया कोलियरी में चाल धंसी, दब जाने से मजदूर की हो गयी मौत

इसीएल के कुनुस्तोड़िया क्षेत्र की परसिया कोलियरी में काम के समय चाल गिरने से उसके नीचे दब कर एक श्रमिक की मौत हो गयी. इससे पहले चाल गिरने से श्रमिक बुरी तरह जख्मी हो गया. फिर उसे किसी तरह मलबा हटा कर साथी मजदूरों ने निकाला और नजदीकी निजी अस्पताल ले गये, वहां चेकअप के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

अंडाल.

इसीएल के कुनुस्तोड़िया क्षेत्र की परसिया कोलियरी में काम के समय चाल गिरने से उसके नीचे दब कर एक श्रमिक की मौत हो गयी. इससे पहले चाल गिरने से श्रमिक बुरी तरह जख्मी हो गया. फिर उसे किसी तरह मलबा हटा कर साथी मजदूरों ने निकाला और नजदीकी निजी अस्पताल ले गये, वहां चेकअप के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मृतक का नाम राजेश प्रसाद नोनिया (45) बताया गया है. वह परसिया कोलियरी में ट्रामर का काम करता था. वह परबेलिया का रहनेवाला था. बताया गया है कि शुक्रवार शाम को जब वह कोलियरी में कोयले से भरी ट्रॉली को ढकेल रहा था, तभी कोयले की बड़ी चट्टान ऊपर से गिर पड़ी, जिसके नीचे दब कर वह बुरी तरह घायल हो गया, मलबा हटा कर साथी श्रमिकों ने उसे बाहर निकाला और अधिकारियों की मदद से दुर्गापुर के एक निजी अस्पताल ले गये. वहां परीक्षण के बाद चिकित्सकों ने उस श्रमिक को मृत घोषित कर दिया. बताया गया है कि वर्ष 2015 में अपनी मां की मौत के बाद राजेश प्रसाद नोनिया को उनके स्थान पर परसिया कोलियरी में नौकरी मिली थी. शुक्रवार को राजेश पहली पाली में खदान के अंदर ड्यूटी कर रहा था. छुट्टी से 15-20 मिनट पहले शाफ्ट के नीचे वह काम कर रहा था, तभी अचानक चाल धंस गयी. उसके नीचे आने से वह घायल हो गया. घायल राजेश नोनिया को उठा कर साथी कर्मचारी तुरंत दुर्गापुर के निजी अस्पताल ले गये, जहां चेकअप के बाद उसे डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. घटना के बाद कोलियरी की यूनियनों ने मुआवजा व पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी की मांग पर दूसरी पाली का काम बंद कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. सूचना पाकर एरिया कार्मिक प्रबंधक राजेश त्रिवेदी, कोलियरी एजेंट मधुसूदन सिंह, केकेएससी महासचिव व विधायक हरेराम सिंह, रामेश्वर भगत, सत्येंद्र सिंह, दारा बाउरी, उदीप सिंह समेत श्रमिक नेताओं ने खदान में श्रमिक की सुरक्षा पर सवाल उठाये और घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की. बाद में इसीएल के अधिकारियों के साथ श्रमिक नेताओं की बैठक हुई, जिसमें अधिकारियों ने पीड़ित परिवार को हर्जाना और एक आश्रित को नौकरी देने पर सहमति जतायी, तब श्रमिकों का आंदोलन थमा.

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