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बर्खास्त ग्रुप सी व डी कर्मियों को घर बैठे क्यों दिया जा रहा पैसा : हाइकोर्ट

बर्खास्त ग्रुप सी व डी कर्मियों को घर बैठे क्यों दिया जा रहा पैसा: हाइकोर्ट

अदालत ने मौखिक रूप से फिलहाल राशि वितरित नहीं करने के लिए कहा

हाइकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान उठाये सवाल

कोर्ट ने गैर-शिक्षण कर्मचारियों को आर्थिक सहायता देने संबंधी याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

संवाददाता, कोलकाताकलकत्ता हाइकोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा उन गैर-शिक्षण कर्मचारियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की योजना शुरू करने को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपनी नौकरी खो दी थी. न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें राज्य द्वारा ‘ग्रुप सी’ के कर्मचारियों को 25,000 रुपये और ‘ग्रुप डी’ कर्मियों को 20,000 रुपये के भुगतान का विरोध किया गया था. न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बर्खास्त ग्रुप सी व डी कर्मचारियों को मुआवजा देने में राज्य सरकार इतनी जल्दीबाजी क्यों कर रही है. इन लोगों को घर बैठे बिना किसी काम के क्यों पैसा दिया रहा है. राज्य सरकार बेरोजगार युवाओं के बारे में क्यों नहीं सोच रही. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने हाल में ‘ग्रुप सी’ और ‘ग्रुप डी’ श्रेणियों के उन गैर-शिक्षण कर्मचारियों के संकटग्रस्त परिवारों को अस्थायी तौर पर ‘मानवीय आधार पर सीमित आजीविका, सहायता और सामाजिक सुरक्षा’ प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू की थी, जिन्हें स्कूल सेवा आयोग द्वारा आयोजित 2016 की चयन प्रक्रिया के माध्यम से भर्ती किया गया था. हाल में पश्चिम बंगाल सरकार के लगभग 26,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद अपनी नौकरी खोनी पड़ी. इनकी नियुक्ति 2016 की चयन प्रक्रिया के जरिये हुई थी, जिसमें अनियमितताएं पायी गयी थीं.

वर्ष 2016 की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए प्रतीक्षा सूची में शामिल कुछ उम्मीदवारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने पूछा कि राज्य को उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के फैसले को उलझाने के लिए कानून बनाने की शक्तियां कहां से मिलीं. श्री भट्टाचार्य ने दावा किया कि यह योजना नियुक्तियों को रद्द करने वाले शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन है.

जब न्यायालय ने पूछा कि क्या राज्य ने अधिसूचना को लागू किया है, तो पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि ऐसा किया गया है तथा एक किस्त पहले ही जारी की जा चुकी है. न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने मौखिक रूप से राज्य से कहा कि वह फिलहाल धनराशि वितरित न करे. याचिका का विरोध करते हुए किशोर दत्ता ने कहा कि प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थी, जो याचिकाकर्ता हैं, इस योजना में कोई शिकायत नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए, क्योंकि उनका दावा है कि यह योजना उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करती है.

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