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एमएस से जूझ रहे लोगों के लिए ‘वॉक इन माई शूज’ अभियान

भारत में लगभग दो लाख लोग एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसे मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) कहा जाता है.

कोलकाता. भारत में लगभग दो लाख लोग एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसे मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) कहा जाता है. जो भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है. यह बीमारी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है, जिसके कारण पीड़ित का चलना, खाना बनाना, नहाना या बच्चे को गोद में उठाना जैसे साधारण काम भी कठिन हो जाते हैं. इसके कारण उन्हें हर रोज भारी कष्ट झेलना पड़ता है. वहीं, एमएस के मरीजों का दर्द और परेशानी आसानी से समझ में नहीं आता. एमएस की समस्या के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए, रोशे फार्मा इंडिया ने मल्टीपल स्केलेरोसिस सोसाइटी ऑफ इंडिया (एमएसएसआइ) के साथ मिलकर ‘वॉक इन माई शूज’ अभियान की शुरुआत की है. यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता पहल है जिसका उद्देश्य इस गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी से जूझ रहे लोगों की उन परेशानियों को सामने लाना है, जो अक्सर दूसरों को दिखायी नहीं देती.

एमएसएसआइ दिल्ली की चेयरपर्सन बिपाशा गुप्ता ने कहा, ‘मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) नौजवानों को होने वाली एक जटिल न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. यह धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है, जिसमें समय के साथ लक्षण बदलते रहते हैं और व्यक्ति को विकलांग बना देते हैं.

समय रहते शुरुआत में ही इलाज बेहद जरूरी होता है, क्योंकि इससे बीमारी बढ़ने की रफ्तार धीमी की जा सकती है और स्थायी विकलांगता का खतरा कम किया जा सकता है.’

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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