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विधायक के इलाज में लाखों का खर्च, विस अध्यक्ष ने अस्पताल से मांगी जानकारी

मुर्शिदाबाद के विधायक ने आंखों की सर्जरी से संबंधित आवश्यक लेंस और अन्य चीजों के लिए लाखों रुपये से अधिक का बिल पेश किया है.

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में विधायकों के इलाज से जुड़े बिल को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं. इस बार पश्चिम बंगाल विधानसभा प्रबंधन विधायकों के स्वास्थ्य से जुड़े बिल पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है. बताया गया है कि हाल ही में मुर्शिदाबाद में सत्तारूढ़ पार्टी के एक विधायक की आंख की सर्जरी हुई है. उनका उपचार बाईपास स्थित एक निजी अस्पताल में कराया गया. मुर्शिदाबाद के विधायक ने आंखों की सर्जरी से संबंधित आवश्यक लेंस और अन्य चीजों के लिए लाखों रुपये से अधिक का बिल पेश किया है. इसके बाद, चश्मे की कीमत और अस्पताल बेड का खर्च भी दिया गया. मामला सामने आने के बाद विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने भी उक्त निजी अस्पताल के प्रबंधन से बात की. उन्होंने पूरी बात जाननी चाही. बताया गया है कि अस्पताल अधिकारियों ने पहले ही अध्यक्ष के समक्ष अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. हालांकि विधानसभा अधिकारियों ने चश्मे और बेड के मुद्दे पर फैसला कर लिया है, लेकिन अध्यक्ष मुर्शिदाबाद के विधायक के बिल की गहन जांच के बाद ही कोई निर्णय लेंगे. विस अध्यक्ष ने कहा है कि सभी दस्तावेजों की जांच के बाद ही वह कोई निर्णय लेंगे. जानकारी के अनुसार, विधानसभा ने चश्मे की कीमत तय कर दी है. विधायकों को अब चश्मे के लिए अधिकतम पांच हजार रुपये मिलेंगे. गौरतलब है कि इससे पहले 2013 में तत्कालीन शरणार्थी पुनर्वास मंत्री सावित्री मित्रा ने 99,880 रुपये का बिल पेश किया था. उस बिल के बारे में सावित्री मित्रा ने बताया था कि उन्होंने पार्क स्ट्रीट की एक दुकान से दो जोड़ी चश्मे का ऑर्डर दिया था. प्रत्येक की कीमत 35,000 रुपये थी. उन्होंने बिल प्रस्तुत किया था, जिसमें एक और जोड़ी चश्मे की मरम्मत तथा प्रतिदिन ली जाने वाली दवा का खर्च शामिल था. विवाद के चलते सावित्री मित्रा ने अपना बिल वापस ले लिया था. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में कहा था कि कोई भी विधायक चश्मे पर 5,000 रुपये से अधिक खर्च नहीं करेगा. मुर्शिदाबाद के एक विधायक से जुड़ी घटना के बाद विधानसभा अधिकारियों ने यह बात फिर याद दिलाई है. अस्पताल के बेड के खर्च पर भी विवाद रहा है. विधानसभा एक बेड के लिए अधिकतम 8,000 रुपये उपलब्ध करायेगी. तथापि, यदि यह आईसीयू या आईटीयू है, तो विधानसभा इस मामले पर अलग से विचार कर निर्णय लेगी.

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