खर्चों में वृद्धि के बाद उठाया गया कदम, सचिवालय को संतुलन बनाने को कहा
कोलकाता. राज्य विधानसभा में अनावश्यक खर्च को कम करने की दिशा में विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने अहम कदम उठाया है. उन्होंने विधानसभा सचिवालय को विधायकों की यात्राओं पर नियंत्रण रखने और खर्च में कटौती के लिए सख्त निर्देश दिये हैं. पूर्व की परंपरा के अनुसार, वाममोर्चा शासनकाल में विधानसभा की समितियां अन्य राज्यों का दौरा करती थीं. लेकिन अब विधायकों की यात्राएं केवल पश्चिम बंगाल तक ही सीमित कर दी गयी हैं. हाल ही में विधानसभा की दो समितियों के अध्यक्ष कंडी विधायक अपूर्व सरकार (पेपर लीड समिति) और राजारहाट-न्यूटाउन के विधायक तापस चटर्जी (नगरपालिका व शहरी विकास स्थायी समिति) ने उत्तर बंगाल दौरे की अनुमति मांगी. लेकिन स्पीकर ने यह कहकर अनुमति देने से इनकार कर दिया कि उन्होंने हाल ही में ही उक्त क्षेत्रों का दौरा किया है.यात्रा नीति में बदलाव के निर्देश
विधानसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, यात्रा खर्च में हालिया वृद्धि को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अध्यक्ष के निर्देशानुसार, अब समिति सदस्यों को एक बड़े दौरे के बाद कम से कम दो महीनों तक किसी अन्य प्रमुख यात्रा की अनुमति नहीं दी जायेगी.अध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया कि जैसे विधायकों को यात्रा की अनुमति दी जाती है, वैसे ही विधानसभा अधिकारियों को भी दी जाती है, जिससे कुल खर्च और बढ़ जाता है, इसलिए सचिवालय को निर्देश दिया गया है कि यात्रा कार्यक्रमों में संतुलन बनाये रखें.
विधानसभा सचिवालय को उम्मीद है कि इस पहल से न सिर्फ प्रशासनिक अनुशासन बढ़ेगा, बल्कि कुल मिला कर विधानसभा का व्यय भी काफी हद तक घटेगा.40 से अधिक समितियां और बढ़ता खर्च
विधानसभा में स्थायी व विधानसभा समितियों सहित कुल 40 से अधिक समितियां हैं, जिनमें 15 से 20 विधायकों तक का प्रतिनिधित्व होता है. ये समितियां विभिन्न जिलों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट विधानसभा को सौंपती है. इन सभी यात्राओं का खर्च विधानसभा सचिवालय द्वारा वहन किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

