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राज्य की जमीन अधिग्रहण नीति में होगा बदलाव

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि सरकार राज्य की मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए जमीन अधिग्रहण नीति में बदलाव करने की योजना बना रही है.

कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि सरकार राज्य की मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए जमीन अधिग्रहण नीति में बदलाव करने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा कि राज्य में अब बड़े उद्योगों की स्थापना के लिए अधिक प्रस्ताव मिल रहे हैं. इसे देखते हुए बड़े उद्योगों के विस्तार के लिए राज्य की जमीन नीति में बदलाव करने की तैयारी की जा रही है. मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अपनी योजना साझा की और एक पुरानी जमीन अधिग्रहण नीति को वापस लेने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नयी आर्थिक जरूरतों के अनुसार जमीन नीति में बदलाव करेगी, जिससे औद्योगिक परियोजनाओं को तेजी से अमल में लाया जा सके.

उन्होंने बताया कि इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य बड़े उद्योगों को आकर्षित करना और राज्य की आर्थिक संरचना को और मजबूत करना है.

विधानसभा में स्वास्थ्य बजट पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा : 1957 में सरकार ने जो जमीन अधिग्रहण किया था, उसकी भरपाई आज भी करनी पड़ रही है. वाममोर्चा सरकार के दौरान भारी मात्रा में जमीन अधिग्रहण हुआ, जिसका भुगतान अब तक करना पड़ रहा है, जिससे राज्य के खजाने पर बोझ बढ़ा है. उन्होंने कहा कि अब राज्य में बड़े उद्योग आ रहे हैं और कई नयी परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं. ऐसे में नयी नीति की आवश्यकता महसूस की जा रही है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार पुरानी नीति को रद्द कर उसे राज्यपाल के पास भेजेगी. उन्होंने राज्यपाल से अपील की कि यदि वह इसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे देते हैं, तो सरकार नयी जमीन नीति लागू कर देगी.

उन्होंने बताया कि इस नीति को तैयार करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गयी है, जिसमें मुख्य सचिव समेत अन्य विशेषज्ञ और हितधारक शामिल हैं.

इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में मौजूद कोयला खदानें केंद्र सरकार के अधीन हैं, लेकिन केंद्र ने अभी तक इनके उपयोग को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं बनायी है.

गौरतलब है कि हाल ही में बीरभूम के देउचा-पचामी क्षेत्र में कोयला खनन परियोजना शुरू करने के लिए राज्य सरकार ने आसपास की जमीन का अधिग्रहण किया था. इस दौरान स्थानीय लोगों में असंतोष भी था, लेकिन सरकार द्वारा उचित मुआवजा, पुनर्वास और नौकरी दिये जाने के बाद मामला सुलझ गया और परियोजना सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है.

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