संवाददाता, कोलकाता
राज्य में चुनाव आयोग द्वारा एसआइआर लागू किये जाने के बाद जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वालों की भीड़ बढ़ गयी है. चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार, मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदकों को अपने जन्म प्रमाण पत्र समेत कई जरूरी दस्तावेज जमा करने हैं.
बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर एसआइआर फॉर्म वितरित कर रहे हैं और यह जांच कर रहे हैं कि 2002 की मतदाता सूची में संबंधित व्यक्ति या उसके माता-पिता अथवा परिजनों का नाम दर्ज है या नहीं. यदि नाम नहीं है, तो जन्म प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेजों की मांग की जा रही है. इसी कारण कोलकाता नगर निगम कार्यालयों में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लोगों की लंबी कतारें लग रही हैं. न सिर्फ कोलकाता, बल्कि राज्य के अन्य जिलों और राज्यों से भी लोग प्रमाण पत्र के लिए आ रहे हैं.
कई आवेदकों ने बताया कि उनका जन्म शहर के निजी अस्पतालों या नर्सिंग होम में हुआ था, जहां से निगम द्वारा जारी वॉटरमार्क वाले प्रमाण पत्र नहीं मिलते. स्थिति को देखते हुए मेयर फिरहाद हकीम ने निगम के स्वास्थ्य विभाग को स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रमाण पत्र जारी करने में अनावश्यक विलंब न किया जाये.
मेयर ने कहा, “लोग घबरा रहे हैं, इसलिए प्रतिदिन जारी किये जाने वाले जन्म प्रमाण पत्रों की संख्या बढ़ायी जाये.” स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, अभी प्रतिदिन औसतन 150 जन्म प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे हैं, जिसे अब और बढ़ाने की तैयारी है. विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पासपोर्ट और वीजा सत्यापन के लिए भी पुलिस की ओर से जन्म प्रमाण पत्र की मांग बढ़ी है.
मेयर ने बताया कि पहले प्रमाण पत्र हस्तलिखित रूप में जारी किये जाते थे, पर अब कंप्यूटर से जनरेटेड वॉटरमार्क प्रमाण पत्र दिये जा रहे हैं, जिन पर मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं. अधिकारी ने यह भी कहा कि कोविड काल में शुरू हुआ चैटबॉट सिस्टम अब भी सक्रिय है, लेकिन कभी-कभी तकनीकी समस्या (कंप्यूटर हैंग) की वजह से प्रक्रिया धीमी हो जाती है. स्थिति को समझते हुए मेयर ने निर्देश दिया है कि जन्म प्रमाण पत्रों की प्रतियों की संख्या बढ़ाकर लोगों को शीघ्र राहत दी जाये.
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