कोलकाता.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यदि केंद्र सरकार ने अदालत के आदेश के बावजूद पश्चिम बंगाल में मनरेगा योजना शुरू नहीं की है, तो याचिकाकर्ता संघ चाहें तो केंद्र के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला दायर कर सकते हैं. यह टिप्पणी कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजय पॉल और न्यायमूर्ति पार्थसारथी सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान की. गौरतलब है कि हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार को एक अगस्त से राज्य में मनरेगा (100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना) फिर से शुरू करने का निर्देश दिया था. आरोप है कि आदेश के बाद भी केंद्र ने कोई कार्रवाई नहीं की. सोमवार को सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल खेत मजदूर संघ के अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने अदालत का ध्यान इस ओर दिलाया. इस पर अदालत ने कहा कि यदि आदेश का अनुपालन नहीं हुआ है, तो संघ अवमानना याचिका दाखिल करने के लिए स्वतंत्र है. पहले, सात नवंबर को केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने अदालत को बताया था कि योजना शुरू करने में केंद्र को कोई कानूनी बाधा नहीं है. इस पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया था कि यदि कोई बाधा नहीं है, तो योजना तुरंत शुरू की जानी चाहिए. सुनवाई के दौरान खेत मजदूर संघ और राज्य सरकार ने यह भी बताया कि राज्य सरकार का केंद्र पर लगभग 4,568 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसमें मनरेगा मजदूरों का लंबित वेतन भी शामिल है. उल्लेखनीय है कि इससे पहले कलकत्ता हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने भी केंद्र को अगस्त से 100 दिनों का काम शुरू करने का आदेश दिया था. केंद्र ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन शीर्ष अदालत की न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने आवेदन खारिज करते हुए राज्य में मनरेगा योजना तुरंत लागू करने का निर्देश दिया था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

