संवाददा, हावड़ा.
अपने जवान बेटे की खुदकुशी के लिए बहू को जिम्मेदार ठहराते हुए एक पिता ने इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पीड़ित परिवार की उम्मीदें फिर से जग गयी हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने परिवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में फिर से याचिका दायर करने को कहा है. न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने इस मामले के शीघ्र निपटारे का निर्देश दिया है. यह मामला वर्ष 2020 का है, जब बाली के व्यवसायी अमन साव की शादी लिलुआ की नेहा शुक्ला से हुई थी. शादी के कुछ ही समय बाद दोनों के रिश्ते बिगड़ने लगे. वर्ष 2021 में अमन ने अपने कमरे में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली.
चौंकाने वाली बात यह है कि अमन ने अपनी पत्नी नेहा के सामने ही फांसी लगायी थी, लेकिन पत्नी उसे बचाने के बजाय अपने मोबाइल फोन पर पति के फांसी लगाने का वीडियो रिकॉर्ड करती रही. इस घटना से सभी हैरान थे. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर नेहा शुक्ला को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया. हालांकि 40 दिन बाद उसे जमानत मिल गयी और मामला ठंडे बस्ते में चला गया. बेटे की मौत की उचित जांच की मांग को लेकर अमन के पिता जगन्नाथ साव ने कलकत्ता हाइकोर्ट का रुख किया. न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने बाली थाने को केस डायरी सहित सभी दस्तावेज कोर्ट में सौंपने के लिए कहा, लेकिन मामले में कोई खास प्रगति नहीं हुई. इसके बाद जगन्नाथ साव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इस मामले में हस्तक्षेप करने और इसका शीघ्र निपटारा करने का आदेश दिया है. पीड़ित परिवार ने घटना की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने और बहू को सख्त सजा देने की मांग की है.
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