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बिहार में एसआइआर सिर्फ टेस्ट, असली लक्ष्य बंगाल : योगेंद्र यादव

समाजसेवी एवं राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने शनिवार को कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में दावा किया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की प्रक्रिया महज एक टेस्ट केस था, जबकि इसका वास्तविक लागूकरण पश्चिम बंगाल के लिए किया जा रहा है.

कोलकाता.

समाजसेवी एवं राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने शनिवार को कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में दावा किया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की प्रक्रिया महज एक टेस्ट केस था, जबकि इसका वास्तविक लागूकरण पश्चिम बंगाल के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया वोटर लिस्ट के सामान्य संशोधन की नहीं, बल्कि नये सिरे से मतदाता सूची तैयार करने की कोशिश है.

योगेंद्र यादव ने कहा कि वह बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी से अपील करते हैं कि यह सुनिश्चित किया जाये कि वास्तविक नागरिकों के नाम मतदाता सूची से न हटाए जायें. उन्होंने कहा, “यह 2002 की एसआइआर प्रक्रिया की पुनरावृत्ति नहीं है, जैसा चुनाव आयोग दावा कर रहा है. यह एक विशेष समुदाय को मतदाता सूची से बाहर करने की प्रक्रिया है.”

यादव के अनुसार, 2002 में लोगों को किसी प्रकार का फॉर्म भरने या दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं थी, जबकि इस बार लोगों से दस्तावेज मांगे जा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि एसआइआर वोटर लिस्ट को साफ करने की पहल नहीं, बल्कि एक तरह की वोटबंदी है.

सरकार वोटरों को चुन रही है : परकला प्रभाकर

कार्यक्रम में उपस्थित अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने भी एसआइआर प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाये. उन्होंने ‘द एजुकेशनिस्ट्स फोरम, पश्चिम बंगाल’ द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एसआइआर का असली उद्देश्य उन लोगों को हटाना है जिनके बारे में सरकार मानती है कि उन्हें देश में नहीं होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि एसआइआर के जरिये सरकार वोटरों को चुन रही है, जबकि लोकतंत्र में वोटर सरकार को चुनते हैं. प्रभाकर का दावा है कि बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण केंद्र सरकार एनआरसी को आगे नहीं बढ़ा सकी, इसलिए अब एसआइआर को उसके विकल्प के रूप में लागू किया जा रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि जब किसी नागरिक से मतदान का अधिकार छीन लिया जाता है और उसे राजनीतिक समुदाय से बाहर कर दिया जाता है, तो वह द्वितीय श्रेणी का नागरिक बन जाता है. प्रभाकर के अनुसार, एसआइआर का लक्ष्य उन लोगों के नाम हटाना है जो पिछड़े, कम पढ़े-लिखे या अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं.

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