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आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों के खिलाफ जनहित याचिका

याचिका में आवारा कुत्तों से रेबीज जैसी घातक बीमारी के फैलने और अनियंत्रित आबादी के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य को होने वाले खतरों पर जोर दिया गया है.

कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आकाश शर्मा ने आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों को रोकने के लिए एक जनहित याचिका (पीआइएल) दायर की है, जिसमें आवारा कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी कार्यक्रमों को लागू करने की मांग की गयी है. याचिका में आवारा कुत्तों से रेबीज जैसी घातक बीमारी के फैलने और अनियंत्रित आबादी के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य को होने वाले खतरों पर जोर दिया गया है. इसमें राष्ट्रव्यापी रेबीज-रोधी टीकाकरण अभियान, पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम, जन जागरूकता अभियान और पशु कल्याण कानूनों के सख्त प्रवर्तन की मांग की गयी है, ताकि समुदाय सुरक्षित रहें और आवारा कुत्तों के साथ मानवीय व्यवहार हो. यह याचिका जल्द ही सुनवाई के लिए निर्धारित है और इन पहलों की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने की मांग करती है. अधिवक्ता आकाश शर्मा ने कहा कि यह पीआइएल सार्वजनिक सुरक्षा और पशु कल्याण को स्थायी समाधानों के माध्यम से सुनिश्चित करने का प्रयास है. अधिवक्ता आकाश शर्मा ने अपनी याचिका में आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, 2024 में कुल 37,15,713 कुत्तों के काटने के मामले दर्ज किये गये, जिनमें जनवरी 2025 में ही 4,29,664 मामले सामने आये. 2024 में रेबीज के कारण देशभर में 54 लोगों की मौत हुई थी. वहीं, पश्चिम बंगाल में 2024 में 76,486 और जनवरी 2025 में 10,264 कुत्तों के काटने के मामले दर्ज किये गये, साथ ही 2024 में राज्य में एक व्यक्ति की मौत रेबीज की वजह से हुई थी.

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