एक साल से बसों के बंद होने से आर्थिक स्थिति हुई खराब
कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बसों के स्वास्थ्य और प्रदूषण स्तर की जांच के बाद उनकी वैधता अवधि बढ़ाने का आदेश दिया है. इस फैसले के बाद बस मालिक संगठन अब उन बसों को सड़कों पर वापस लाने के लिए सक्रिय हो गये हैं, जिन पर पिछले लगभग दो वर्षों से प्रतिबंध था. बस मालिक संगठनों का कहना है कि प्रतिबंध के कारण उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है. वे परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती और परिवहन सचिव सौमित्र मोहन को पत्र लिखकर जुर्माना और कर में छूट की मांग करेंगे. इसके लागू होने पर अगले दिनों में 700 से 800 बसें कोलकाता की सड़कों पर सेवा देने लगेंगी. हाइकोर्ट का आदेश: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशानिर्देशों के अनुसार, ग्रेटर कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (केएमडीए) क्षेत्र में 15 साल पुरानी बसों के परमिट नवीनीकरण पर रोक थी. छह निजी बस मालिक संगठनों ने 13 महीने पहले कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि बसों की उम्र के बजाय उनकी स्वास्थ्य स्थिति को आधार माना जाये. कलकत्ता हाइकोर्ट ने बसों के स्वास्थ्य और प्रदूषण स्तर की जांच के बाद वैधता अवधि बढ़ाने का आदेश दिया. अब लगभग 2000 बसें जिनकी अवधि समाप्त हो चुकी थी या हो रही थी, उन्हें दोबारा सेवा में आने का मौका मिलेगा. इन बसों को वर्ष में दो बार स्वास्थ्य और प्रदूषण परीक्षण से गुजरना होगा और तकनीकी एवं यात्री सुविधाओं के अनुसार अनुमोदित होना होगा.
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