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फॉर्म पर पिता या पति की जगह मां का नाम होने पर भी नामांकन स्वीकार करना होगा

हाइकोर्ट ने यह आदेश अधिवक्ता मृणालिनी मजूमदार द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश सुजय पाल व न्यायाधीश स्मिता दास डे की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल बार काउंसिल ऐसे किसी भी नामांकन फॉर्म को अस्वीकार नहीं करेगी, जिसमें पिता या पति के नाम की बजाय माता का नाम हो. हाइकोर्ट ने यह आदेश अधिवक्ता मृणालिनी मजूमदार द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. काउंसिल की ओर से वकील प्रसून कुमार दत्ता ने न्यायमूर्ति सुजय पॉल और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ के समक्ष कहा कि यद्यपि नामांकन के लिए निर्धारित फॉर्म और बार काउंसिल द्वारा जारी पहचान पत्र में पिता/पति का नाम आवश्यक है, इसलिए यदि कोई अभ्यर्थी माता के नाम के साथ आवेदन करता है, तो बार काउंसिल द्वारा उसे अस्वीकार नहीं किया जायेगा.

मृणालिनी मजूमदार ने बार काउंसिल के इस फैसले का विरोध करते हुए हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. मृणालिनी मजूमदार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फिरोज एडुलजी ने मामले की पैरवी की. वहीं, मामले की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने बार काउंसिल से इस संबंध में 90 दिनों के अंदर फैसला लेने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा, हमें उम्मीद और विश्वास है कि उपयुक्त मंच की अपनी अगली बैठक में, निर्धारित प्रपत्र और पहचान पत्र में भी इसे नियमित करने के लिए उचित निर्णय लेंगे.

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