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तीन वर्षों में पुराने आइसीएफ कोच की जगह लगेंगे एलएचबी कोच : हितेंद्र

नये रेलवे सिस्टम में 2030 तक ‘नेट जीरो कार्बन इमिटर (उत्सर्जन करने वाला) बनने का भारतीय रेल का लक्ष्य

नये रेलवे सिस्टम में 2030 तक ‘नेट जीरो कार्बन इमिटर (उत्सर्जन करने वाला) बनने का भारतीय रेल का लक्ष्य कोलकाता. मर्चेंट्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआइ) की ओर से गुरुवार को यहां रेलवे अवसंरचना विकास : चुनौतियां और अवसर विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. मौके पर रेलवे बोर्ड के सदस्य (ऑपरेशंस एंड बिजनेस डेवलपमेंट, रेलवे बोर्ड) हितेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय रेलवे के विकास पर काम जारी है. नये रेलवे सिस्टम में 2030 तक ‘नेट जीरो कार्बन इमिटर (उत्सर्जन करने वाला) बनने का लक्ष्य रखा गया है. केवल इस कदम से प्रतिवर्ष 60 मिलियन उत्सर्जन घटेगा. तीन वर्षों में पुराने आइसीएफ रेल कोच को नये एलएचबी कोच से रिप्लेस किया जायेगा. भारतीय रेलवे का लक्ष्य है कि वर्ष 2031 और 2047 तक माल ढुलाई मॉडल की हिस्सेदारी क्रमशः 35 प्रतिशत और 45 प्रतिशत बढ़े. श्री मल्होत्रा ने कहा कि भारत में 400 कंटेनर रेल टर्मिनल हैं और कंटेनरीकरण का स्तर 30 प्रतिशत है, जबकि विकसित देशों में यह 65 प्रतिशत है. वित्त वर्ष 2025 में भारतीय रेलवे ने 1,617 मिलियन टन माल लदान किया है. 41,929 वैगन खरीदे गये और दो वर्षों में 75,000 वैगन आयेंगे. रेलवे ने वैगनों में निवेश के लिए निजी क्षेत्र के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की है. श्री मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय रेलवे के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनमें पुराना बुनियादी ढांचा, क्षमता की कमी, पहले और आखिरी मील कनेक्टिविटी की कमी, उच्च रसद लागत, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी, भूमि अधिग्रहण में देरी और उपयोगिता स्थानांतरण जैसी समस्याएं शामिल हैं. इसके बावजूद रेलवे के ढांचे में सुधार किया जा रहा है. भारतीय रेलवे ने कवच : सुरक्षा और क्षमता के लिए सिग्नलिंग सुधार शुरू किया है. हावड़ा-मुंबई व हावड़ा-चेन्नई जैसे प्रमुख महानगरों को जोड़ने वाले ट्रंक रेल संपर्क उच्च-घनत्व वाले रेल यातायात को सक्षम व प्रमुख पर्यटन सर्किटों को सुगम बनाते हैं. कार्यक्रम में नियो मेटालिक्स लि के निदेशक रवि अग्रवाल ने आवश्यक कच्चे माल, विशेष रूप से बड़बिल (ओडिशा) से लौह अयस्क के तेज परिवहन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लगभग 25 करोड़ रुपये प्रति रैक का निवेश करके जीपीडब्ल्यूआइएस रैक की खरीद का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 2 को पार करने के कारण बामुनारा क्षेत्र (दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल) के पास सार्वजनिक रेलवे साइडिंग की अनुपस्थिति ने प्रभावी रेल रसद योजना को असंभव बना दिया है. टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लि के उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक उमेश चौधरी ने रेलवे के तीव्र आधुनिकीकरण के प्रयासों की सराहना की. एमसीसीआइ के अध्यक्ष अमित सरावगी ने स्वागत भाषण दिया. कार्यक्रम में चेंबर के सदस्य लवेश पोद्दार, पूर्व रेलवे प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक डॉ उदय शंकर झा, हावड़ा मंडल के वरिष्ठ परिचालन प्रबंधक राजीव रंजन, निओमेटलिक लि. के निदेशक रवि अग्रवाल सहित पूर्व रेलवे के कई अधिकारी मौजूद थे.

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