कोलकाता.
पश्चिम बंगाल सहित देश के 12 राज्यों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) का काम चल रहा है. इस एसआइआर प्रक्रिया से कई लोगों में असमंजस का भी माहौल है. इस संबंध में कलकत्ता हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवब्रत उपाध्याय ने प्रभात खबर के ऑनलाइन सवालों का जवाब देते हुए कहा कि एसआइआर की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है, इससे घबराने की जरूरत नहीं. यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जो समय-समय पर चुनाव आयोग द्वारा लागू की जाती है. अगर आपके पास सुप्रीम कोर्ट व आयोग द्वारा बताये गये सभी दस्तावेज उपलब्ध हैं तो इससे आपको डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मामले में पारदर्शिता पर जोर देते हुए निर्देश दिया कि हटाये गये मतदाताओं के नाम वेबसाइटों और मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक किये जायें. कोर्ट ने एसआइआर से जुड़े कर्मचारियों को लेकर भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए एसआइआर ड्यूटी एक वैधानिक दायित्व है, लेकिन राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उन पर काम का अत्यधिक बोझ न पड़े. आधार कार्ड पर कोर्ट ने पुनः स्पष्ट किया कि आधार कार्ड नागरिकता का पूर्ण प्रमाण नहीं है. फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने कोई अंतिम फैसला नहीं सुनाया है, लेकिन बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में चल रही यह प्रक्रिया शीर्ष अदालत की कड़ी निगरानी में चल रही है. सवाल : जमीन को लेकर विवाद चल रहा है. जमीन विवाद समाधान के लिए बीएलआरओ कार्यालय में आवेदन किया, जहां से सरकारी अमीन आकर जमीन की मापी की, लेकिन विपक्षी पार्टी इसे नहीं मान रही है, क्या करें?-अमित ठाकुर, टीटागढ़
जवाब : अगर बीएलआरओ से सरकारी अमीन ने जमीन की माप की है और विपक्षी नहीं मान रहे हैं, तो वे सरकारी आदेश की अवहेलना कर रहे हैं. इस संबंध में एसडीओ के नाम से आवेदन दें. पुलिस बल व अधिकारी की मौजूदगी में अपने स्तर से मापी कराने का अनुरोध करें. इससे समस्या का समाधान हो सकता है.सवाल : मेरे दादाजी से एक व्यक्ति ने इलाज कराने के दौरान पैसे लिये हैं. अब वह पैसे लौटाने में असमर्थता दिखा रहा है और कह रहा है कि जमीन आपके नाम लिख देंगे, जो रैयती जमीन है, क्या यह रैयती जमीन अपने नाम से लेना हित में होगा?
-शंकर नोनिया, श्रीरामपुरजवाब : वैसे तो किसी के पर्चा की जमीन है, जो रैयती जमीन की श्रेणी में और एसपीटी एक्ट के अनुसार अहस्तांतरणीय जमीन है, रैयती जमीन की खरीद-विक्री नियम के प्रतिकूल है. यह जमीन अगर आप लेते हैं, तो नियम के प्रतिकूल ही होगा.
सवाल : मेरे पिता पांच भाई हैं. बाकी चार भाई मिलकर मेरे पिता को जमीन में हिस्सा नहीं दे रहे है. हिस्से की मांग करने पर झगड़ा शुरू हो जाता है. हमें क्या करना चाहिए?-अनिकेत कुमार, पार्क सर्कस
जवाब: पुश्तैनी जमीन पर सभी का बराबर हिस्सा होता है. अपनी जमीन का हिस्सा पाने के लिए सिविल जज की अदालत में सभी वैध दस्तावेजों के साथ ओरिजनल सूट दाखिल करें. वंशवाली के सभी हिस्सेदारों को प्रतिवादी बनायें, चाहे लड़का हो या लड़की. सभी को समान हक पुश्तैनी जमीन में प्राप्त है. आपके पिता का भी अन्य भाइयों की तरह जमीन पर हक है. धैर्य बनाये रखें. आपको आपका हक जरूर मिलेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

