कोलकाता.
सुखाचार एक कानूनी अधिकार है, जो किसी एक जमीन के मालिक को दूसरी जमीन के मालिक की संपत्ति का किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए उपयोग करने का अधिकार देता है. यह अधिकार जमीन के लाभकारी उपभोग के लिए होता है और इसमें स्वामित्व का हस्तांतरण शामिल नहीं होता है, बल्कि केवल एक विशिष्ट उपयोग का अधिकार प्रदान करता है, जैसे कि रास्ता, पानी या प्रकाश तक पहुंच. इस संबंध में कलकत्ता हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवब्रत उपाध्याय ने प्रभात खबर ऑनलाइन सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भारत में यह भारतीय सुखाचार अधिनियम, 1882 द्वारा नियंत्रित होता है. यह एक कानूनी अधिकार है, जो एक जमीन के मालिक (प्रभुत्वशाली स्वामी) को किसी अन्य की जमीन (अधीनस्थ भूमि) का उपयोग करने की अनुमति देता है. उन्होंने बताया कि सुखाचार का अधिकार स्वामित्व नहीं देता है, बल्कि एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए उपयोग की सुविधा प्रदान करता है. इसका मुख्य उद्देश्य प्रभुत्वशाली भूमि के लाभकारी उपभोग को सुनिश्चित करना है. इसमें मार्ग का अधिकार, पानी या हवा तक पहुंचने का अधिकार, या किसी अन्य की भूमि पर बिजली की लाइन बिछाने का अधिकार शामिल हो सकता है.श्री उपाध्याय ने बताया कि भारत में, सुखाचार अधिकारों को भारतीय सुखाचार अधिनियम, 1882 के तहत नियंत्रित किया जाता है, जो इन अधिकारों के सृजन, उपयोग और समाप्ति के सिद्धांतों को परिभाषित करता है.
सवाल : मैंने एक व्यक्ति को कर्ज के रूप में 50 हजार रुपये दिये थे. तीन-चार माह गुजर जाने के बावजूद अब तक रुपया वापस नहीं कर रहा. क्या करना होगा?-रंजन ठाकुर, श्यामनगर
जवाब : रुपये देने का प्रमाण होने पर आप उसे अधिवक्ता के माध्यम से रुपये वापसी के लिए लीगल नोटिस भेजें और अगर वह जवाब नहीं देता या उसके जवाब से आप संतुष्ट नहीं होते, तो उसके खिलाफ थाने में मामला दायर करायें.सवाल : मेरे नाना-नानी अब नहीं हैं. उनकी सिर्फ एक ही संतान पुत्री (मेरी मां) थी. नाना की संपति पर मेरी मां का अधिकार है, लेकिन उनके रिश्तेदार परेशान कर रहे हैं. क्या करें?
-राहुल गुप्ता, बालीजवाब : आपके नाना-नानी के सिर्फ आपकी मां ही वारिस हैं, तो उनकी संपत्ति पर सिर्फ उन्हीं का अधिकार बनता है. नाना के रिश्तेदार अगर परेशान करते हैं, तो उनके खिलाफ आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं.
सवाल : मेरे करीबी रिश्तेदार दिल्ली स्थित एक सरकारी बैंक में थे. वर्ष 2023 में विभागीय कार्यवाही में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. इसके खिलाफ उन्होंने रिवीजन पिटीशन दाखिल किया है. अभी उन्हें क्या करना चाहिए?-कुणाल तिवारी, दमदम
जवाब : आपको रिवीजन पिटीशन के फैसले का इंतजार करना होगा. जब फैसला आपके पक्ष में नहीं आयेगा, तब उसे आप हाइकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

