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एक मरीज के हृदय में लगाया लीडलेस पेसमेकर

अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ अविक कारक, कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ सजीव कुमार पात्रा और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ पीके हाजरा के मार्गदर्शन में यह प्रक्रिया की गई.

कोलकाता. डीसन हॉस्पिटल ने एडवांस्ड कार्डियक केयर के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. अस्पताल में पहली बार एक मरीज के हृदय में लीडलेस पेसमेकर सफलतापूर्वक इंप्लांट किया गया है. चिकित्सकों की बोलचाल की भाषा में इसे ‘इनविजिबल पेसमेकर’ भी कहा जाता है. अस्पताल का दावा है कि यह सफलता क्वालिटी केयर, मरीजों की सुरक्षा और क्लिनिकल उत्कृष्टता के वैश्विक मानकों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है. अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ अविक कारक, कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ सजीव कुमार पात्रा और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ पीके हाजरा के मार्गदर्शन में यह प्रक्रिया की गई. अस्पताल की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, एक मध्यम आयु की महिला मरीज के हृदय में यह लीडलेस पेसमेकर लगाया गया है. मरीज क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) से पीड़ित थीं और उनके बाएं हाथ में डायलिसिस के लिए जीवनरक्षक आर्टेरियोवेनस (एवी) फिस्टुला लगा हुआ था. डॉ अविक कारक ने बताया कि मरीज का फिस्टुला खराब हो रहा था और इसे हर हाल में सुरक्षित रखना जरूरी था. भविष्य में डायलिसिस की आवश्यकता को देखते हुए मौजूदा और सहायक नसों को बचाना भी बेहद आवश्यक था. पारंपरिक पेसमेकर से नसों को नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है, इसलिए इस मरीज के लिए लीडलेस पेसमेकर सबसे सुरक्षित विकल्प साबित हुआ. डॉ हाजरा ने बताया कि मरीज को मेडट्रॉनिक का सिंगल-चैंबर लीडलेस पेसमेकर लगाया गया है, जिसका वजन मात्र दो ग्राम है. इसे कैथेटर आधारित प्रक्रिया के जरिए लगाया जाता है और पूरी प्रक्रिया में 30 मिनट से भी कम समय लगता है. इसमें केवल एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है और सर्जरी के बाद कोई स्पष्ट निशान भी नहीं रहता. चिकित्सकों के अनुसार, इस तरह के पेसमेकर से संक्रमण की संभावना न के बराबर होती है. डिवाइस लगाये जाने के बाद मरीज एमआरआइ समेत अन्य स्कैन भी सुरक्षित रूप से करा सकते हैं. इसकी बैटरी लाइफ करीब 15 से 17 साल तक होती है. डॉक्टरों का कहना है कि यह मरीजों के अनुकूल आधुनिक कार्डियक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग है.

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