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मेरा दूसरा जन्म हुआ : पूर्णम कुमार साव

देश के लिए मर-मिटने की कसम खाने वाले जवान जब घर लौटते हैं, तो सिर्फ उनका परिवार नहीं, पूरा शहर उनका स्वागत करता है.

हुगली. देश के लिए मर-मिटने की कसम खाने वाले जवान जब घर लौटते हैं, तो सिर्फ उनका परिवार नहीं, पूरा शहर उनका स्वागत करता है. ऐसा ही दृश्य शुक्रवार को रिसड़ा में देखने को मिला, जब पाकिस्तान की कैद से छूटकर बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार साव अपने घर लौटे. हावड़ा स्टेशन पर पूर्णम को लेने पहुंचे थे रिसड़ा नगरपालिका के चेयरमैन विजय सागर मिश्रा और पूर्णम के पिता भोलानाथ साव. जैसे ही पूर्वा एक्सप्रेस से पूर्णम उतरे, लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. फूलों की माला, ढोल-नगाड़े और भावुक आवाज़ों में ‘जय हिंद’ के नारों ने वातावरण को देशभक्ति से भर दिया. रिसड़ा पहुंचते ही जीटी रोड पर तिरंगे से सजी खुली जीप में उनकी सवारी निकाली गयी. सड़कों के किनारे कटआउट, स्वागत द्वार बने थे. तिरंगा थामे लोग कतार में खड़े थे. बैंड पार्टी के मधुर सुरों के साथ पूरी झांकी ने माहौल को गर्व से भर दिया. रास्ते में लिलुआ की एक मशहूर मिठाई दुकान पर पूर्णम ने मिठाई खाई. पिता के हाथों से पहला निवाला लिया और उन्हें गले लगाकर बोले— बाबा ने मुझे जन्म दिया, लेकिन इस धरती ने मुझे फिर से जीवन दिया. भारत में मेरा दूसरा जन्म हुआ है.भावनाओं से भरे इस दृश्य ने हर आंख को नम कर दिया. पूर्णम ने घर पहुंचते ही कहा कि वह फिलहाल बीस दिनों की छुट्टी पर आये हैं. भारत सरकार से आदेश मिलते ही वह फिर से बॉर्डर पर ड्यूटी निभाने जायेंगे.

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