बकाया 80 लाख रुपये भुगतान करने के लिए दो महीने की समय सीमा तय की
संवाददाता, कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट ने एक ठेकेदार द्वारा बकाया राशि की भुगतान के लिए राज्य सरकार के खिलाफ दर्ज किये गये मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. हाइकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि नगरपालिका का कार्य सरकारी मंजूरी के अनुसार नहीं किया गया. इस प्रकार के बहाने का उपयोग कर राज्य सरकार किसी भी ठेकेदार का बकाया राशि नहीं रोक सकती है. कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पार्थ सारथी चटर्जी ने अपने फैसले में कहा कि भले ही काम बिना मंजूरी के किया गया हो, लेकिन सरकार जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. नगरपालिका विभाग के प्रधान सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि नगरपालिका दो महीने के भीतर याचिकाकर्ता की सभी बकाया राशि का भुगतान कर दे.
गौरतलब है कि रायगंज नगरपालिका के कैंसर से पीड़ित ठेकेदार ने हाइकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया है कि नगरपालिका ने उनका बकाया राशि देने से इंकार कर दिया है. बताया गया है कि 2015 में रायगंज नगरपालिका के चेयरमैन कांग्रेस के मोहित सेनगुप्ता थे. उस समय, नगरपालिका ने क्षेत्र में सड़कों, स्कूल भवनों और छात्रावासों सहित कई कार्यों के लिए निविदा नोटिस जारी किया था. निविदा की सभी शर्तें पूरी करने के बाद ठेकेदार नंदलाल साहा को कार्य की जिम्मेदारी दी गयी. उनके वकील गौतम ठाकुर ने बताया कि अनुबंध के अनुसार समय पर सारा काम पूरा करने के बाद भी उनके मुवक्किल को पैसा नहीं मिला है. रायगंज नगरपालिका का कांग्रेस शासित बोर्ड पहले ही भंग हो चुका है. रायगंज के एसडीओ को प्रशासक के रूप में नगरपालिका की जिम्मेदारी दी गई है.
बाद में पूर्व चेयरमैन मोहित सेनगुप्ता के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने नगरपालिका अधिनियम के अनुसार सरकारी मंजूरी प्राप्त किए बिना कुल 14 निविदाएं आमंत्रित की थीं. इसके साथ ही नगरपालिका ने नंदलाल साहा का बकाया 80 लाख रुपये देने से इंकार कर दिया. इसी मामले की सुनवाई करते हुए सोमवार को यह आदेश दिया.
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