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हाइकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले की आलोचना की

कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने उस अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश को चेतावनी दी

विवाह संबंधी मुकदमा

संवाददाता, कोलकाता.

कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने उस अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश को चेतावनी दी, जिसने याचिकाकर्ता पति द्वारा दायर मुकदमे को एकपक्षीय रूप से खारिज कर दिया था. न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति उदय कुमार की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश ने अपने फैसले में इस तथ्य की अनदेखी की कि पत्नी (प्रतिवादी) ने लिखित बयान दाखिल करने के बावजूद कोई साक्ष्य पेश नहीं किया और पति से जिरह भी नहीं की.

उसने कहा कि इसके अलावा, विवादित निर्णय का सरसरी तौर पर अवलोकन करने से भी यह पता चलता है कि न्यायाधीश ने रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री पर ध्यान दिये बिना पूरी तरह से अपनी धारणा के आधार पर ही निर्णय लिया. अधीनस्थ अदालत ने 2015 में दायर एक वैवाहिक मुकदमे के खिलाफ फरवरी 2018 में एकपक्षीय फैसला सुनाया था.

कलकत्ता उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि क्रूरता के आधार पर पत्नी के खिलाफ पति को तलाक लेने का फैसला सुनाया जाता है. पीठ ने कहा कि वह अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश के खिलाफ कोई गंभीर प्रतिकूल टिप्पणी करने से सिर्फ इसलिए बच रही है, क्योंकि ऐसी टिप्पणी से न्यायाधीश के सेवा करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. उसने कहा : उम्मीद है कि संबंधित न्यायाधीश भविष्य में ऐसा नहीं करेंगे. पीठ ने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में न्यायाधीश की ओर से इस तरह के कृत्य का कोई उदाहरण सामने आता है, तो उसे उनकी सेवा पुस्तिका में दर्ज करने का निर्देश दिया जा सकता है.

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