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आदिवासी संगठन के प्रस्तावित आंदोलन पर हाइकोर्ट की रोक

कलकत्ता हाइकोर्ट ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग को लेकर आदिवासी संगठन के राष्ट्रीय राजमार्गों या रेलवे पटरियों को अवरुद्ध करने पर मंगलवार को रोक लगा दी.

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‘भारत जकात माझी परगना महल’ नाम के एक अपंजीकृत संगठन ने 20 दिसंबर से रेल रोकने व राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध करने का किया है आह्वान

संवाददाता, कोलकाता

कलकत्ता हाइकोर्ट ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग को लेकर आदिवासी संगठन के राष्ट्रीय राजमार्गों या रेलवे पटरियों को अवरुद्ध करने पर मंगलवार को रोक लगा दी. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने संगठन के सदस्यों को राष्ट्रीय राजमार्गों या रेलवे पटरियों को अवरुद्ध करने वाले किसी भी आंदोलन को नहीं करने का निर्देश दिया. गौरतलब है कि आदिवासी संगठन ने 20 दिसंबर को सुबह छह बजे से राष्ट्रीय राजमार्गों या रेल पटरियों को अवरूद्ध करने का आह्वान किया है. खंडपीठ ने निर्देश दिया कि यदि इस आदेश का कोई उल्लंघन होता है, तो राज्य सरकार निर्देशों की अवहेलना करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई कर सकती है.

खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि यह मामला बड़े समुदाय से जुड़ा हुआ है, इसलिए सरकार के लिए उचित होगा कि वह इन लोगों की मांगों पर विचार करे. अदालत ने कहा कि यदि संभव हो तो सरकार संगठन के सदस्यों को चर्चा के लिए बुला सकती है, ताकि यह मुद्दा सुलझाया जा सके. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि ये मांगें मूलतः नीतिगत मामले हैं और इनमें संविधान में किसी समुदाय को आरक्षित श्रेणी में शामिल करने से संबंधित मामले भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा कि अदालत सरकार को किसी विशेष तरीके से नीति बनाने का निर्देश नहीं दे सकती. राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि आदिवासी संगठन की मांग को पूरा करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है. इसमें राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती है.

गौरतलब है कि अदालत के समक्ष दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि ‘भारत जकात माझी परगना महल’ नाम के एक अपंजीकृत संगठन ने अपने समुदाय को अनुसूचित जनजाति आरक्षित श्रेणी में शामिल करने, संताली माध्यम शिक्षा बोर्ड के गठन और अन्य संबंधित मुद्दों को लेकर आंदोलन की योजना बनायी है.

आंदोलन का आह्वान करने वाले प्रतिवादियों के वकील ने अदालत के समक्ष पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को मांगों के साथ 30 अक्तूबर को दिये गये अपने ज्ञापन की एक प्रति पेश की. ज्ञापन में कहा गया कि यदि 15 दिसंबर तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गयीं, तो वे अनिश्चितकालीन रेल व सड़क रोको आंदोलन शुरू कर देंगे, जिसमें हजारों आदिवासी लोग शामिल होंगे.

राष्ट्रीय राजमार्ग अधिकारियों को दिये गये एक अन्य ज्ञापन में उन्होंने 20 दिसंबर से राष्ट्रीय राजमार्ग 16 को अनिश्चितकाल के लिए अवरुद्ध करने की भी बात कही थी. हाइकोर्ट ने इस आंदोलन पर रोक लगाने का आदेश दिया है.

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