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शिक्षक नियुक्ति मामले में एकल पीठ के फैसले पर हाइकोर्ट की रोक

हाइकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार की दलील मानते हुए अपर प्राइमरी शिक्षक नियुक्ति के लिए साक्षात्कार में बैठने की अनुमति देने के एकल पीठ के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है.

कोलकाता. हाइकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार की दलील मानते हुए अपर प्राइमरी शिक्षक नियुक्ति के लिए साक्षात्कार में बैठने की अनुमति देने के एकल पीठ के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है. रिंकू सेन सहित कुछ उम्मीदवारों ने इंटरव्यू की समयसीमा खत्म होने के बाद भी साक्षात्कार का मौका देने की अर्जी लेकर हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. एकल पीठ ने इजाजत दे दी थी, लेकिन हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य की दलील मानते हुए एकल पीठ के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई पांच जनवरी को होगी. उस दिन तय होगा कि इन अभ्यर्थियों को दोबारा मौका मिलेगा या नहीं.गौरतलब है कि स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) ने अपर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा इस साल सितंबर में आयोजित की थी. योग्य उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था. कमीशन ने इन पात्र उम्मीदवारों के लिए 18 से 20 दिसंबर तक इंटरव्यू की तारीख तय की थी. लेकिन रिंकू सेन और कुछ दूसरे लोग उस दिन इंटरव्यू में अनुपस्थित रहे. 22 दिसंबर को इन उम्मीदवारों ने इंटरव्यू में बैठने के अवसर देने की मांंग पर आयोग से आवेदन किया था. पर अनुमति नहीं मिली. इसके बाद 23 दिसंबर को रिंकू सेन ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उसकी दलील थी कि उसे डायरिया हो गया था. इसलिए वह उस समय इंटरव्यू के लिए नहीं जा सकी थी. कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया और उसे इंटरव्यू का मौका दिया. जस्टिस सौगत भट्टाचार्य की एकल पीठ ने दलील मान ली और कमीशन को उसे मौका देने का आदेश दिया. हालांकि, राज्य सरकार सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देने के लिए डिवीजन बेंच में चली गयी. राज्य सरकार की वकील देवलीना घोष ने बताया कि अगर हर अनुपस्थित रहने वाले को इसी तरह मौका दिया जायेगा, तो नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं होगी. बारी-बारी से ऐसे लोग आते ही रहेंगे और इंटरव्यू चलता ही रहेगा. यह इंटरव्यू उन टीचरों के साथ आयोजित किये जाते हैं जो हर विषय के एक्सपर्ट होते हैं. एक या दो लोगों के लिए दोबारा इंटरव्यू आयोजित करना लगभग असंभव है. इसलिए, राज्य सरकार यह नहीं चाहती कि उन्हें दोबारा मौका दिया जाये. सरकारी वकील की इस दलील को मानते हुए, जस्टिस रवि कृष्ण कपूर और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेशों पर अंतरिम रोक लगा दी.

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