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निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर के उपयोग में पारदर्शिता लाने के लिए गाइडलाइन

निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर के उपयोग में पारदर्शिता के लिए जरूरी दिशा निर्देश जारी किये गये हैं, क्योंकि अति गंभीर अवस्था में मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा जाता है.

लंबे समय तक वेंटिशन पर रहने वाले मरीजों के लिए गठित करना होगा मेडिकल बोर्ड

संवाददाता, कोलकातानिजी अस्पतालों में वेंटिलेटर के उपयोग में पारदर्शिता के लिए जरूरी दिशा निर्देश जारी किये गये हैं, क्योंकि अति गंभीर अवस्था में मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा जाता है. यह एक जीवन रक्षक उपाय है, जो वायुमार्ग अवरोध,श्वसन विफलता, तंत्रिका संबंधी विकार, हृदय गति रुकना, आघात, दवा विषाक्तता और अन्य गंभीर बीमारियों के मामलों में आवश्यक होता है. उम्र जनित बीमारियों के मामलों में मरीज के आइसीयू या सीसीयू में भर्ती मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता पड़ती है. इस वजह से आईसीयू और वेंटिलेटर की मांग बढ़ रही है. इसलिए इसके इस्तेमाल में पारदर्शिता लाने पर जोर दिया जा रहा है. इस दिशानिर्देश का उद्देश्य मरीज को वेंटिलेशन पर रखने संबंधी निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाना और वेंटिलेटर के अनावश्यक उपयोग को रोकना है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इस दिशा निर्देश को जारी किया गया है. क्योंकि, कई मरीजों को वेंटिलेशन सपोर्ट की आवश्यकता नहीं होती है, पर उन्हें अनावश्यक रुप में सीसीयू या आइसीयू में वेंटिलेशन पर रखा जाता है. वहीं, कुछ मामलों में मरीज को वेंटिलेशन में रखने के बाद भी उसे बचना असंभव माना जाता है. लेकिन निजी अस्पताल मरीज के परिजनों से चर्चा किये बगैर उसे वेंटिलेशन पर रख देते हैं. इस संबंध में लोकसभा में संसद डॉ आनंद कुमार द्वारा इस मामले को उठाया गया था, जिसमें प्राइवेट अस्पतालों द्वारा वेंटिलेटर के इस्तेमाल में दिशानिर्देश बनाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की बात कही गयी थी. इसके बाद निजी अस्पतालों द्वारा वेंटिलेटर के इस्तेमाल में दिशानिर्देश बनाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डॉ सुजाता चौधरी, एडिशनल स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया. दिशा निर्देशों पर चर्चा करने के लिए समिति की एक 10 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी की ओर से ही इस दिशा निर्देश जारी किया गया है. इस कमेटी द्वारा जारी दिशा निर्देशों में कहा गया है कि मरीज को वेंटिलेशन पर रखने से पहले परिवार को सूचित करने के साथ उनकी सहमति भी जरूरी होगी. बताया गया है कि लंबे समय तक वेंटिलेशन पर रहने वाले मरीजों को इलाज के दौरान संक्रमण भी हो सकता है इसकी भी जानकारी परिवार को देना होगा. यहीं नहीं मरीज को अनावश्यक ढंग से अधिक दिनों तक वेंटिलेशन पर नहीं रखा जा सकता है. ये दिशानिर्देश इनवेसिव और नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन विधियों दोनों पर लागू होते हैं. इनमें फेस मास्क, नेजल प्रोंग्स या हाई-फ्लो नेजल कैनुला जैसे अन्य ऑक्सीजन वितरण प्रणालियां शामिल नहीं हैं.

इलाज खर्च की दैनिक जानकारी देना अनिवार्य :

वेंटिलेटर सपोर्ट और उससे जुड़ी आइसीयू की दैनिक लागत के संबंध में भी मरीज के परिजनों को जानकारी देना होगा. साथ ही भी बताना होगा की मरीज को वेंटिलेशन पर रखने कते बाद उसे बचाया जा सकता है या नहीं. परिजनों को नियमित देना होगा अपडेट : अस्पताल 14 दिनों से अधिक समय तक वेंटिलेटर के उपयोग से जुड़े सभी मामलों के लिए नियमित आंतरिक ऑडिट करने के बाद परिजनों को इलाज से संबंधित जानकारी देनी होगी. ऑडिट में निरंतर वेंटिलेशन के नैदानिक औचित्य, दस्तावेजीकरण की पूर्णता, परिवार के सदस्यों के साथ संचार और संस्थागत दिशानिर्देशों के अनुपालन का मूल्यांकन किये जाने का भी निर्देश निजी अस्पतालों को दिया गया है. इसके साथ ही अस्पताल को यह निर्देश दिया गया है कि वह मरीज से संबंधित सभी रिकॉर्ड सुरक्षित ढंग से संग्रहित रखे. ऐसे मरीज जो दो सप्ताह या इससे अधिक समय से वेंटिलेशन पर होंगे उनके लिए बहुविषयक मेडिकल कमेटी भी बनाये जाने का निर्देश दिया गया है.

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