संवाददाता, कोलकाता भारत निर्वाचन आयोग ने तृणमूल कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल की ओर से उठायी गयी सभी आशंकाओं व आरोपों को निराधार बताया और उनका खंडन किया. आयोग ने उनसे नौ दिसंबर के बाद अपने दावे और आपत्तियां देने का अनुरोध किया, जब राजनीतिक दलों से ड्राफ्ट सूची साझा की जायेगी. तब तक उन्हें बीएलओ, ईआरओ और डीईओ के स्वतंत्र कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जो चुनाव से संबंधित कार्यों के लिए राज्य सरकार के कर्मचारी हैं. आयोग ने तृणमूल प्रतिनिधिमंडल से यह भी कहा कि यह बहुत अजीब है कि आयोग की ओर से मंजूर किया गया बढ़ा हुआ मानदेय अभी तक राज्य सरकार ने नहीं दिया है. यह बिना किसी और देरी के किया जाना चाहिए. आयोग के अधिकारी के अनुसार, भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य के डीजीपी और कोलकाता पुलिस आयुक्त को एक पत्र भेजा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बीएलओ पर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता दबाव न डालें और उन्हें धमकायें नहीं. चुनाव आयोग ने तृणमूल प्रतिनिधिमंडल से यह भी साफ कहा कि भारत में मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने का काम संविधान और चुनावी कानून के हिसाब से होता है और तृणमूल को इसका पालन करना चाहिए. सीईओ पश्चिम बंगाल के कार्यालय में सुरक्षा में सेंध से संबंधित हाल की घटनाओं के आधार पर ईसीआइ ने कार्यालय को सुरक्षा के लिहाज से उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है. ईसीआइ ने कोलकाता पुलिस आयुक्त को भी सीईओ पश्चिम बंगाल के मौजूदा और नये कार्यालय की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. डीईओ को नये स्थानों पर मतदान केंद्र बनाने का निर्देश ईसीआइ ने सभी डीईओ को यह भी निर्देश दिया है कि वे झुग्गी-झोपड़ियों, ऊंची इमारतों और बंद आवासीय कॉलोनियों में नये मतदान केंद्र बनायें, जैसा कि ईसीआइ के निर्देशों के आधार पर पूरे देश में किया जा रहा है. हालांकि तृणमूल प्रतिनिधिमंडल ने इसका विरोध किया. कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने आयोग को पत्र लिख कर आवासीय कॉम्पलेक्सों में मतदान केंद्र बनाये जाने के फैसले पर आपत्ति जतायी थी. हालांकि, आयोग ने मुख्यमंत्री की आपत्ति को नजरअंदाज करते हुए बहुमंजिला आवासीय कॉम्पलेक्सों में मतदान केंद्र बनाने का निर्देश दिया है.
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