अन्य उत्पादों को भी टैग दिलाने का प्रयास
कोलकाता. ‘दार्जिलिंग मंदारिन संतरे’ को आधिकारिक तौर पर भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्रदान किया गया है. उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय (यूबीकेवी) के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि जीआइ पंजीयक द्वारा हाल ही में इस दर्जे को औपचारिक मान्यता दी गयी, जिसमें दार्जिलिंग जैविक कृषक उत्पादक संगठन (डीओएफपीओ) पंजीकृत मालिक है, जबकि यूबीकेवी और पीआईसी ने आवेदन प्रक्रिया के लिए सहायक के तौर पर काम किया. अधिकारी ने कहा, ‘‘जीआई टैग से दार्जिलिंग मंदारिन संतरे की खेती को पुनर्जीवित करने में मदद मिलने की उम्मीद है, जो पिछले 15 वर्षों से विषाणु और कीटों के हमलों के कारण कम हो रही है. अगले चरण में दार्जिलिंग और कलिम्पोंग क्षेत्रों के सभी व्यक्तिगत उत्पादकों को ‘अधिकृत उपयोगकर्ता’ के रूप में पंजीकृत किया जायेगा, ताकि वे कानूनी रूप से जीआई लेबल का उपयोग कर सकें और अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें.’’ उन्होंने बताया कि यह फल स्थानीय विरासत का अभिन्न अंग रहा है और पीढ़ियों से अर्थव्यवस्था में सहायक रहा है.स्थानीय सांसद ने किया स्वागत, कहा : और उत्पादों को जीआई टैग दिलाने का किया जायेगा प्रयास
दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट ने जीआई टैग मिलने पर खुशी जताते हुए एक बयान में कहा, ‘‘मैं मिरिक स्थित दार्जिलिंग जैविक कृषि उत्पादक संगठन (डीओएफपीओ), पश्चिम बंगाल राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (डब्ल्यूबीएससीएसएंडटी) के पेटेंट सूचना केंद्र (पीआईसी) और उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय को प्रसिद्ध दार्जिलिंग मंदारिन संतरे (वैज्ञानिक नाम-साइट्रस रेटिकुलाटा ब्लैंक) के लिए आधिकारिक भौगोलिक संकेतक (जीआई) का दर्जा दिलाने में उनके अथक प्रयास के लिए बधाई देता हूं.’’ भाजपा नेता बिष्ट ने कहा कि यह दल्ले खुरसानी (एक प्रकार की मिर्च) के बाद हमारे क्षेत्र का दूसरा उत्पाद है, जिसे यह प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त हुई है. दार्जिलिंग के सांसद ने उम्मीद जताया कि इस तरह के एकीकृत प्रयासों से इलाके के अन्य उत्पादों- जैसे इलायची, अदरक, इस्कुस (चाउ-चाउ), बेर, रायो-को-साग (सरसों साग), गारेंडल (पैशन फ्रूट या कृष्णकमल फल), मासेम को दाल, भद्रसे, अनानास, काउलो को भी जीआई टैग दिलाया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

