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चक्रवाती तूफान ‘अम्फन’ से सुंदरवन के रॉयल टाइगर को खतरा, जानिए दूसरे तूफान से अब तक कितने पशुओं की गयी जान

चक्रवाती तूफान 'अम्फन' के कहर की आशंका से केवल तटवर्ती इलाके के निवासी ही परेशान नहीं हैं, बल्कि सुंदरवन के प्रसिद्ध रॉयल बंगाल टाइगर, बहुमूल्य पेड़-पौधों व तटवर्ती इलाके के पशु-पक्षियों पर भी खतरा का बादल मंडरा रहा है. चक्रवाती तूफान 'अम्फन' का सुंदरवन के तटवर्ती इलाके से 185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टकराने की आशंका मौसम विभाग ने जतायी है. इस दौरान 8 से 10 मीटर ऊंची समुद्र की लहरें उठने की संभावना है.

कोलकाता : चक्रवाती तूफान ‘अम्फन’ के कहर की आशंका से केवल तटवर्ती इलाके के निवासी ही परेशान नहीं हैं, बल्कि सुंदरवन के प्रसिद्ध रॉयल बंगाल टाइगर, बहुमूल्य पेड़-पौधों व तटवर्ती इलाके के पशु-पक्षियों पर भी खतरा का बादल मंडरा रहा है. चक्रवाती तूफान ‘अम्फन’ का सुंदरवन के तटवर्ती इलाके से 185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टकराने की आशंका मौसम विभाग ने जतायी है. इस दौरान 8 से 10 मीटर ऊंची समुद्र की लहरें उठने की संभावना है. पढ़ें अजय विद्यार्थी की रिपोर्ट.

सुंदरवन को यूनेस्को ने विश्व हेरिटेज साइट घोषित किया है तथा यह रॉयल टाइगर के लिए विश्व प्रसिद्ध है. सुंदरवन करीब 140,000 हेक्टर इलाके में फैला हुआ है. क्लाइमेट रेसिलेंट ऑबजर्बिंग सिस्टम्स काउंसिल (CROPC) के चेयरमैन कर्नल संजय श्रीवास्तव ने बताया कि चक्रवाती तूफान की आशंका के मद्देनजर रॉयल टाइगर के साथ- साथ सुंदरवन के पेड़- पौधों को भी भारी नुकसान पहुंचने की आशंका है. सुंदरवन में करीब 260 पक्षियों की जनजातियां पायी जाती हैं, हालांकि सुंदरवन में स्थित मैंग्रो वन समुद्री हवाओं से रक्षा का काम करता रहा है. पिछले दिनों आये चक्रवाती तूफान में मैंग्रो वन ने रक्षा कवच का काम किया था.

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घरेलू पशुओं व पक्षियों के जान पर भी आफत

कर्नल श्रीवास्तव ने कहा कि तटवर्ती इलाके में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के साथ- साथ घरेलू पशुओं व पक्षियों की सुरक्षा भी मुहैया कराना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि चक्रवाती तूफान से इनकी जान को भी खतरा है. 1999 के सुपर चक्रवाती तूफान (Super cyclone) में 9,887 लोगों की मौत के साथ-साथ 3,15,866 घरेलू पशुओं की मौत हुई थी, जबकि 2019 में फोनी चक्रवाती तूफान (Phony cyclone) के दौरान 6,231 घरेलू पशुओं की मौत हुई थी. इसलिए जरूरी है कि चक्रवाती तूफान की आशंका के मद्देनजर पशुओं को भी सुरक्षित पक्के मकान में रखने की व्यवस्था की जाये तथा उन्हें बांध कर नहीं रखा जाये. उनके लिए पर्याप्त खाने-पीने की व्यवस्था भी हो.

उन्होंने कहा कि 1999 के सुपर चक्रवात में 20 लाख मुर्गियों की मौत हुई थी, जबकि 2019 के फोनी तूफान में 53,26,905 मुर्गियों का नुकसान हुआ था. फोनी के दौरान लगभग 15 लाख मछुआरे प्रभावित हुए थे, जबकि इसके पहले 1999 के तूफान में 20 लाख मछुआरे प्रभावित हुए थे.

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बिजली गिरने से भी जान जाने का खतरा, सतर्कता जरूरी

कर्नल श्रीवास्तव ने कहा कि चक्रवाती तूफान के दौरान बिजली गिरना स्वाभाविक है. पिछले चक्रवाती तूफान के दौरान व बारिश के दौरान बिजली गिरने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी. चक्रवाती तूफान के प्रकोप व बिजली से बचने के लिए जरूरी है कि आप पक्के मकान में आश्रय लें तथा खुले मैदान, तालाब, पेड़ के नीचे, बिजली के तार के खंभे, खुले मैदान या टिन के छत के नीचे नहीं रहें तथा घर की खिड़की और दरवाजे बंद रखें. उन्होंने मछुआरों को सख्त रूप से समुद्र में नहीं जाने की मनाही की.

सुंदरवन में त्वारित प्रतिक्रिया दल बाघों की गतिविधि पर नजर रखेंगे

पश्चिम बंगाल में बुधवार को ‘अम्फन’ चक्रवात आने की संभावना के बीच वन विभाग ने मंगलवार को त्वारित प्रतिक्रिया दल गठित किये हैं, जो सुनिश्चित करेंगे कि दक्षिण 24 परगना जिले के सुंदरवन के बाघ तूफान के दौरान भटकर पास की मानव बस्तियों में नहीं जायें.

मुख्य वन्यजीव वार्डन रविकांत सिन्हा ने कहा कि विभाग ने जिले के गोसाबा इलाके में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है, जो जंगल में 24 घंटे स्थिति की निगरानी करेगा. विभाग ने साल्टलेक इलाके में केंद्रीय नियंत्रण कक्ष बनाया है, जो गोसाबा इकाई से लगातार संपर्क में रहेगा और वन्य जीवों की गतिविधि पर करीब से निगाह रखेगा.

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श्री सिन्हा ने बताया कि अगर बाघों ने अपने मूल अभयारण्य इलाके से निकल कर पास के गांव जाने की कोशिश की, तो हम इन नियंत्रण कक्षों के जरिये इसका पता लगा पायेंगे और हमारी त्वारित प्रतिक्रिया दल पशु को वापस भेजने के लिए कदम उठायेंगे. उन्होंने बताया कि सुंदरबन में बाघों की संख्या 96 है, जिनमें से 73 मूल अभयारण्य क्षेत्र में हैं जबकि 23 उसके आसपास के हिस्से में हैं.

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