कोलकाता. राज्य में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव के पहले राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है. मुर्शिदाबाद में तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष और कांदी के विधायक अपूर्व सरकार ने वामपंथी दलों और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को खुला आमंत्रण देते हुए कहा कि “सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए सबको मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की छतरी के नीचे आना होगा.” रविवार को बेलडांगा ब्लॉक में आयोजित तृणमूल की विजया सम्मिलनी के दौरान वक्तव्य रखते हुए सरकार ने कहा कि, “कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां अब राज्य में कभी सत्ता में नहीं आ सकतीं. उनके पास जितने प्रतिशत वोट हैं, वे केवल वोटों को बांटते हैं, जिससे भाजपा को फायदा होता है. अगर कांग्रेस व वामपंथी समर्थक भाजपा को मजबूत नहीं करना चाहते, तो उन्हें मुख्यमंत्री बनर्जी के नेतृत्व में आना चाहिए.” उन्होंने आगे कहा, “सांप्रदायिक शक्तियों को फायदा पहुंचाने से अच्छा है कि आप सब सुश्री बनर्जी के नेतृत्व में एकजुट हों. अगर वाम और कांग्रेस कार्यकर्ता तृणमूल के साथ नहीं आते, तो उनके वोट अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा की झोली में जायेंगे.” राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सरकार की यह रणनीति चुनावी दृष्टि से वोट विभाजन रोकने की कोशिश है. इससे पहले, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी इसी तरह का संदेश देकर वाम-कांग्रेस समर्थकों से भाजपा के पक्ष में मतदान की अपील की थी.
तृणमूल की इस अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए माकपा नेता डॉ सुजन चक्रवर्ती ने तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, “यह सब बकवास है.
बंगाल में भाजपा को लाने वाली पार्टी खुद तृणमूल है. भाजपा के बढ़ते प्रभाव के लिए जिम्मेदार भी वही हैं. आज तृणमूल और भाजपा में बस नाम का फर्क है, काम दोनों का एक जैसा है.” राज्य में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तृणमूल विपक्षी वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुट गयी है, जबकि वामपंथी और कांग्रेसी इसे ‘राजनीतिक अवसरवाद’ बता रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

