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केंद्र ने बांग्लादेश पर प्रतिबंध बढ़ाया

केंद्र सरकार ने देश की जूट मिलों के लिए बड़ी राहत की खबर दी है. भारत सरकार ने बांग्लादेश से जूट उत्पादों के आयात पर बंदिशें और सख्त कर दी हैं.

भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन की मांग पर आयात नीति में बड़ा बदलाव

संवाददाता, कोलकाताकेंद्र सरकार ने देश की जूट मिलों के लिए बड़ी राहत की खबर दी है. भारत सरकार ने बांग्लादेश से जूट उत्पादों के आयात पर बंदिशें और सख्त कर दी हैं. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 11 अगस्त 2025 को जारी अधिसूचना संख्या 24/2025-26 के तहत आयात नीति में बदलाव करते हुए बांग्लादेश से आने वाले कई तैयार जूट उत्पादों पर बंदरगाह प्रतिबंधों का दायरा बढ़ा दिया है. यह कदम भारतीय जूट मिल एसोसिएशन (आइजेएमए) की लगातार मांग और प्रयासों के बाद उठाया गया है, जो लंबे समय से सस्ते तैयार जूट माल के बड़े पैमाने पर आयात पर रोक की मांग कर रही थी.

नयी अधिसूचना के तहत ब्लीच और अनब्लीच बुना जूट फैब्रिक, जूट ट्वाइन, रस्सियां, कॉर्डेज और जूट के बोरे व बैग (एचएस कोड 531090, 560790, 630510) का बांग्लादेश से किसी भी भारत–बांग्लादेश स्थलीय सीमा बंदरगाह से आयात अब अनुमति नहीं होगा. इनका आयात केवल न्हावा शेवा समुद्री बंदरगाह से ही किया जा सकेगा, जिससे निगरानी कड़ी होगी और थोक में लैंड रूट डंपिंग रोकी जा सकेगी.

इस मुद्दे को हाल ही में राज्यसभा में भी उठाया गया था. सांसद ऋतब्रत बनर्जी ने सरकार से पूछा था कि जब पश्चिम बंगाल के स्थलीय बंदरगाहों से कच्चे जूट के आयात पर सुरक्षा और भू-राजनीतिक कारणों से रोक लगी है, तो तैयार जूट उत्पादों का लगभग मुक्त आयात क्यों जारी है और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाये जा रहे हैं. सरकार ने जवाब में बताया कि घरेलू हितों की रक्षा के लिए डीजीएफटी ने कई एचएस कोड पर स्थलीय बंदरगाहों से आयात रोक दिया है और केवल न्हावा शेवा से आयात की अनुमति दी है.

आईजेएमए ने कपड़ा मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और जूट आयुक्त के साथ बैठकों में लगातार यह मुद्दा उठाया था कि बिना रोक-टोक के लैंड पोर्ट से आयात देशी उत्पादन को नुकसान पहुंचा रहा है, खासकर ऐसे वर्ष में जब बाजार में कम स्टॉक और छोटे फसल की आशंका है, भले ही आधिकारिक अनुमान अधिक हों.

आइजेएमए ने किया फैसले का स्वागत कहा- हमारी पहल से मिली सफलता

उद्योग जगत ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे आईजेएमए की एक बड़ी उपलब्धि बताया है. यह कदम घरेलू जूट बाजार को स्थिरता देने, रोजगार बचाने और भारत के जूट निर्माण क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने में सहायक होगा. हालांकि, एसोसिएशन ने सरकार से अपील की है कि अन्य एचएस कोड के तैयार जूट उत्पादों को भी इसमें शामिल किया जाये और सीमा शुल्क निगरानी को और सख्त किया जाये, ताकि गलत वर्गीकरण और नियमों से बचने के प्रयास रोके जा सकें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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