आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में वित्तीय अनियमितता की जांच का मामला
संवाददाता, कोलकाताकेंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने महानगर स्थित सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितता के मामले में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विधायक व कोलकाता नगर िनगम (केएमसी) के डिप्टी मेयर अतिन घोष से शुक्रवार को करीब ढाई घंटे तक पूछताछ की. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. सीबीआइ के दो अधिकारियों की टीम, सशस्त्र केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के साथ अपराह्न 2.15 बजे घोष के उत्तर कोलकाता स्थित श्यामबाजार स्थित आवास पर पहुंची. सीबीआइ पिछले साल संस्थान परिसर में एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले के साथ-साथ इस मामले की भी जांच कर रही है. अतिन घोष श्रीरामपुर से विधायक सुदीप्त राय के बाद मामले के संबंध में एजेंसी की पूछताछ का सामना करने वाले तृणमूल कांग्रेस के दूसरे विधायक हैं. पूछताछ के बाद बाहर आते हुए घोष ने कहा कि उन्होंने सीबीआइ अधिकारियों द्वारा पूछे गये सभी सवालों के उत्तर दिये, लेकिन इस आधार पर कोई विवरण देने से इनकार कर दिया कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है. जांच एजेंसी ने उनके बयान दर्ज किये. हालांकि, घोष ने पुष्टि की कि एजेंसी के प्रश्न अस्पताल की रोगी कल्याण समिति के कार्यों के इर्द-गिर्द थे. वह स्थानीय काशीपुर-बेलगछिया निर्वाचन क्षेत्र के विधायक होने के नाते इस समिति के पदेन सदस्य थे. सीबीआइ अधिकारी शाम करीब पांच बजे घोष के परिसर से बाहर चले गये. तृणमूल कांग्रेस के विधायक ने कहा : सीबीआइ ने मुझे फोन करके बताया था कि वे इस मामले में मुझसे पूछताछ करना चाहते हैं. पहले तो मुझे उनकी बात पर यकीन नहीं हुआ, क्योंकि आजकल जालसाजों के ऐसे ही फर्ज़ी फोन आते रहते हैं. सीबीआइ ने इस मामले में आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष सहित पांच आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. ये सभी फिलहाल कारागार में हैं.बतौर गवाह पूछे गये सवाल : अतिन
बाद में अतिन घोष ने संवाददाताओं से कहा कि बीएनएस की धारा 179 के तहत गवाह के तौर पर उन्हें सीबीआइ ने नोटिस भेजा था. उन्होंने कहा : स्थानीय विधायक होने के नाते, मैं आरजी कर अस्पताल में रोगी कल्याण समिति का सदस्य था. इस बारे में सीबीआइ ने मुझसे कुछ सवाल पूछे. मैंने हर सवाल का जवाब दिया. उन्होंने (सीबीआइ ने) कहा कि हमने 500-600 लोगों से पूछताछ की है. एक नागरिक के तौर पर हमें सहयोग करना चाहिए, और मैं किया. रोगी कल्याण समिति की साल में तीन से चार बैठकों में शामिल होने के अलावा मेरी कोई और भूमिका नहीं थी. सीबीआइ के मेरे घर में आने को लेकर मुझे कोई अफसोस नहीं है. मैंने पूछे गये सवालों का जवाब देकर सहयोग किया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

