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इंसानियत के नाते बांग्लादेश निर्वासित महिला और उसके बच्चे को वापस लायें : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को नौ महीने की गर्भवती महिला सोनाली खातून और उसके आठ साल के बच्चे को बांग्लादेश से वापस लाने का निर्देश दिया.

नियम के अनुसार सोनाली को वापस लायेंगे, केंद्र सरकार ने दिया आश्वासन

संवाददाता, कोलकाता

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को नौ महीने की गर्भवती महिला सोनाली खातून और उसके आठ साल के बच्चे को बांग्लादेश से वापस लाने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने महीनों पहले बांग्लादेश निर्वासित की गयी गर्भवती महिला और उसके आठ साल के बच्चे को ‘मानवीय आधार’ पर भारत में प्रवेश की अनुमति दी है. कोर्ट ने सरकार को निर्देश है दिया कि वह महिला की प्रेग्नेंसी को देखते हुए उसे फ्री मेडिकल सुविधाएं दे और उसके बेटे का भी ध्यान रखे.

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्य बागची की बेंच ने कहा कि राज्य को कभी-कभी ‘इंसानियत के हित में झुकना’ पड़ता है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से महिला और उसके बच्चे के लौटने के दौरान उनके लिए सभी जरूरी सुविधाओं का इंतजाम करने को कहा. पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के इस बयान पर गौर किया कि सक्षम प्राधिकारी ने मानवीय आधार पर महिला और उसके बच्चे को देश में प्रवेश देने की सहमति जता दी है और उन्हें निगरानी में रखा जायेगा.

शीर्ष अदालत कलकत्ता हाइकोर्ट के 26 सितंबर के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. हाइकोर्ट ने अपने आदेश में सोनाली खातून और उसके बेटे को बांग्लादेश भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और इस कार्रवाई को ‘अवैध’ करार दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि अंततः उन्हें दिल्ली वापस लाया जाये, जहां से उन्हें पकड़कर बांग्लादेश भेजा गया था.महिला के पिता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और संजय हेगड़े ने कहा कि यह उचित होगा कि महिला और उसके बच्चे को उनके गृह जिले पश्चिम बंगाल के बीरभूम लाया जाये. जहां उसके पिता रहते हैं. उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि बांग्लादेश में सोनाली के पति समेत अन्य लोग भी हैं, जिन्हें भारत वापस लाने की आवश्यकता है. इसके लिए तुषार मेहता केंद्र से आगे के निर्देश ले सकते हैं.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह उनके भारतीय नागरिक होने के दावे को चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं. केंद्र सरकार सिर्फ मानवीय आधार पर उस महिला और उसके बच्चे को भारत में आने की अनुमति दे रही है.

क्या है पूरा मामला : सोनाली खातून के पिता भोदू शेख ने आरोप लगाया कि दिल्ली के रोहिणी इलाके के सेक्टर 26 में दो दशक से ज्यादा समय से दिहाड़ी मजदूरी करने वाले इन परिवारों को पुलिस ने 18 जून को बांग्लादेशी होने के शक में पकड़ लिया और बाद में 27 जून को सीमा पार भेज दिया. भोदू शेख अपनी बेटी सोनाली, उसके पति दानिश शेख और उनके 8 साल के बेटे को वापस लाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. सोनाली खातून का दावा है कि वह भोदू शेख की बेटी है, जो कि एक भारतीय नागरिक है. जस्टिस बागची ने कहा कि भोदू शेख की नागरिकता पर कोई सवाल नहीं है और यदि सोनाली यह प्रमाणित कर देती है कि वह भोदू शेख की बेटी है, तो यह उसकी भारतीय नागरिकता स्थापित करने के लिए पर्याप्त होगा. वह और उसके बच्चे भी सिटिजनशिप एक्ट के तहत भारत के नागरिक होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को निर्धारित की.

क्या कहा सीएम ने: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोनाली खातून के मामले का उल्लेख किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि अदालत ने केंद्र से सोनाली खातून को वापस लाने को कहा है. हमने मुकदमा लड़ा. उन्होंने कहा कि सोनाली एक भारतीय हैं. फिर बीएसएफ ने एक गर्भवती महिला को बांग्लादेश क्यों भेजा? क्या इसलिए कि वह बंगाली हैं? क्या इसीलिए उन्हें बांग्लादेशी बताकर सीमा पार फेंक दिया गया? नागरिकता के मुद्दों पर अपना रुख दोहराते हुए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि जब तक वह यहां हैं, किसी भी बंगाली को किसी निरुद्ध शिविर में या वापस नहीं भेजा जायेगा.

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