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राज्य में 20 लाख गणना फॉर्म का वितरण बाकी

राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के पहले चरण के तहत नामांकन प्रपत्रों का वितरण एक बार फिर तय समय-सीमा तक पूरा नहीं हो सका है. राज्य में अब भी लगभग 20 लाख फॉर्म का वितरण बाकी है.

कोलकाता.

राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के पहले चरण के तहत नामांकन प्रपत्रों का वितरण एक बार फिर तय समय-सीमा तक पूरा नहीं हो सका है. राज्य में अब भी लगभग 20 लाख फॉर्म का वितरण बाकी है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्य में लगभग 7.47 करोड़ नामांकन प्रपत्र बांटे जा चुके हैं, जो राज्य के 7 करोड़ 66 लाख 37 हजार 529 मतदाताओं के मुकाबले लगभग 97 प्रतिशत है.

नामांकन प्रपत्र वितरण की शुरुआती समय-सीमा 11 नवंबर तय थी, लेकिन उस दिन तक करीब 15 प्रतिशत मतदाताओं को फॉर्म नहीं मिल पाये थे. इसके बाद अंतिम तिथि 14 नवम्बर निर्धारित की गयी, परंतु वह भी पूरी नहीं हो सकी. नामांकन प्रपत्रों का पूर्ण वितरण एसआइआर के तीन-चरणीय प्रक्रिया के पहले चरण के समापन का संकेत होगा. मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, लगभग 60 लाख मतदाताओं को नॉन-ट्रेसेबल श्रेणी में चिह्नित किया गया है. बूथ स्तर अधिकारियों को इन मतदाताओं से सीधे संपर्क कर फॉर्म देने में सफलता नहीं मिली. ऐसे मामलों में उनके घरों के मुख्य द्वार पर नोटिस चस्पा कर निर्धारित समयावधि के भीतर संबंधित बीएलओ से संपर्क करने को कहा गया था. निर्धारित समय में संपर्क न करने वालों को नॉन-ट्रेसेबल मान लिया गया है.

बीएलओ ने निर्वाचन आयोग संबंधी काम के दबाव को लेकर किया प्रदर्शन : पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में कई प्रखंड स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग (ईसी) उन पर अत्यधिक और अनुचित काम का दबाव डाल रहा है, जिसमें देर रात निर्देश और डिजिटल डेटा प्रविष्टि के अचानक आने वाले आदेश शामिल हैं. सिलीगुड़ी के दीनबंधु मंच प्रशिक्षण केंद्र में विरोध प्रदर्शन उस समय अराजक हो गया, जब कई बीएलओ नारे लगाते हुए मौजूदा डिजिटल डाटा-एंट्री प्रशिक्षण सत्र से बाहर चले गये. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग ने उन्हें अचानक डिजिटल डेटा एंट्री का काम अपनाने और तुरंत प्रशिक्षण लेने का निर्देश दिया है, जो उनके अनुसार इतने कम समय में संभव नहीं था. कई लोगों ने आरोप लगाया कि दिन-ब-दिन नयी जिम्मेदारियां जुड़ती जा रही हैं, जिससे काम का बोझ संभालना मुश्किल होता जा रहा है. कुछ लोगों ने दावा किया कि उन्हें आयोग से देर रात तक फोन आ रहे हैं, जिससे उनकी निजी जिंदगी में व्यवधान आ रहा है. बीएलओ ने यह भी आरोप लगाया कि कई पुराने अधिकारी तकनीक से अनभिज्ञ हैं और बदलाव के साथ तारतम्य बिठाने की उन्हें मशक्कत करनी पड़ रही है.

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