कोलकाता.
प्रदेश भाजपा ने पिछले सप्ताह जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा इलाके में पार्टी सांसद खगेन मुर्मू पर हुए हमले के विरोध में बुधवार को कोलकाता में ‘कॉलेज स्क्वायर’ से धर्मतला तक एक रैली निकाली. पार्टी के आदिवासी माेरचा की ओर से निकाली गयी इस रैली में वरिष्ठ नेताओं के साथ जनजातीय समुदाय के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ नारे लगाये और उस पर राज्य में विपक्ष के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया. पार्टी के झंडे और तख्तियां थामे प्रदर्शनकारियों ने मालदा उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा सांसद खगेन मुर्मू पर हुए हमले में शामिल लोगों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की और आरोप लगाया कि ‘राजनीतिक हिंसा ममता बनर्जी के शासन की पहचान बन गयी है.’पार्टी नेताओं ने आरोप लगाया कि उत्तर बंगाल में भाजपा के एक प्रमुख जनजातीय नेता खगेन मुर्मू पर ‘तृणमूल समर्थित गुंडों’ ने पिछले हफ्ते उस समय हमला किया जब वह पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने नागराकाटा जा रहे थे. भाजपा ने आरोप लगाया कि घटना के दौरान पुलिस ‘मूकदर्शक’ बनी रही और हमले के कई दिनों बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी.विरोधियों को चुप कराने के लिए हिंसा : सुकांत
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘बंगाल में एक मौजूदा सांसद भी सुरक्षित नहीं है. कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है. खगेन मुर्मू पर हुआ हमला दर्शाता है कि सत्तारूढ़ दल अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए किस प्रकार हिंसा का इस्तेमाल करता है.’सुकांत ने आगे कहा कि उन्होंने पुलिस को एक महीने का समय दिया है. तब तक नागराकाटा घटना के असली दोषियों को गिरफ्तार करना होगा. नहीं तो भाजपा अपने तरीके से आरोपियों का ट्रीटमेंट करेगी. मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के बारे में सुकांत ने कहा कि मतदाता सूची में हर पात्र मतदाता वोटर का नाम हो, लेकिन घुसपैठ कर यहां आये बांग्लादेशी मुसलमानों के नाम मतदाता सूची से हटाने ही होंगे.राज्य की तृणमूल सरकार के खिलाफ आज से आंदोलन की हुई शुरुआत : शुभेंदु अधिकारी
बुधवार को आयोजित इस रैली में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि पिछले कई महीनों से हम राज्य के अलग-अलग हिस्सों में राजनीतिक हमलों का सामना कर रहे हैं. यह सरकार आदिवासी विरोधी है. यह जुलूस खत्म होने का मतलब आंदोलन खत्म होना नहीं है. आज से तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत है और यह आंदोलन तृणमूल को सत्ता से उखाड़ फेंकने के बाद ही समाप्त होगा. उन्होंने कहा कि अगर बदला चाहिए तो बदलना होगा. शुभेंदु अधिकारी ने आदिवासी संगठनों से काली पूजा के बाद सड़कों पर उतरने की अपील की. साथ ही उन्होंने कहा, ””इस बार सत्ता परिवर्तन होगा, बदलाव होकर ही रहेगा.””डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

