सीएम ममता बनर्जी को प्रस्ताव भेजने की योजना
कोलकाता. राज्य के जन शिक्षा विस्तार व पुस्तकालय सेवा विभाग ने दिव्यांग छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए एक कॉलेज स्थापित करने के लिए दक्षिण 24 परगना के बारुईपुर में भूमि चिह्नित की है. दिव्यांग और विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के लिए 12वीं कक्षा तक की शिक्षा की सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी आगे की शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. अगर इन छात्रों के लिए एक समर्पित कॉलेज स्थापित हो सके, तो देश भर में कई कंपनियां उन्हें रोजगार देने के लिए उत्सुक होंगी. देश ऐसे छात्र- छात्राओं के लिए समर्पित कोई कॉलेज नहीं है, इसलिए बंगाल इस क्षेत्र में अग्रणी हो सकता है. ये बातें जन शिक्षा विस्तार व पुस्तकालय सेवा मंत्री सिद्दिकुल्ला चौधरी ने गुरुवार को विधानसभा में कहीं. विशेष सत्र के प्रश्नकाल में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को इस तरह के कॉलेज की स्थापना के लिए एक पत्र लिखा है और विभाग इसके लिए एक खाका तैयार कर रहा है. उन्होंने कहा कि उच्च माध्यमिक स्तर तक इन छात्रों का प्रदर्शन उत्कृष्ट है और कई मामलों में यह देखा गया है कि उनका प्रदर्शन सामान्य छात्रों से बेहतर है. इसलिए, उच्च शिक्षा उनके लिए अपनी आजीविका कमाने का एक साधन होगी. उन्होंने सदन को बताया कि राज्य भर में 202 संस्थानों में विभाग की देखरेख में स्कूल स्तर पर 15,000 ऐसे छात्र- छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं. इनमें से कई छात्र आदिवासी क्षेत्रों से आते हैं और उनके गरीब माता-पिता उनकी शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर सकते, इसलिए विभाग द्वारा उन्हें निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने 2018 से निरक्षरता विरोधी अभियान के लिए धनराशि रोक दी है, जिससे इस क्षेत्र में काम प्रभावित हो रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

