14.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

भोगों से विमुख होना ही उत्तम संयम धर्म

कोलकाता. संयम खलु जीवनम् कहकर शास्त्रों में आचार्यों ने संयम को ही जीवन की संज्ञा दी है. प्रत्येक स्थान पर नियंत्रण बहुत जरूरी होता है, बिना नियंत्रण के कोई भी व्यवस्था नहीं चल सकती. संयम जीवन का नियंत्रण है. संयम के अभाव में धर्म शुरू भी नहीं हो पाता है, उक्त विचार स्थानीय श्री दिगम्बर […]

कोलकाता. संयम खलु जीवनम् कहकर शास्त्रों में आचार्यों ने संयम को ही जीवन की संज्ञा दी है. प्रत्येक स्थान पर नियंत्रण बहुत जरूरी होता है, बिना नियंत्रण के कोई भी व्यवस्था नहीं चल सकती. संयम जीवन का नियंत्रण है. संयम के अभाव में धर्म शुरू भी नहीं हो पाता है, उक्त विचार स्थानीय श्री दिगम्बर जैन बड़ा मंदिरजी के विशाल सभागार में दशलक्षण पर्व समारोह के उत्तम संयम धर्म के अवसर पर उपस्थित विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए सीए अरिहंत पाटनी, जैन ने व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि संयम दो प्रकार का होता है. इंद्रिय संयम और प्राणी संयम. साधु पूर्ण संयम का पालन करते हैं और गृहस्थ अपनी भूमिका और शक्ति के अनुसार संयम पालते हैं.

सम्यग्दर्शनपूर्वक जो संयम होता है उसे ही उत्तम संयम कहा गया है. यह मुनिराजों को ही होता है. जीवन और समाज का अनुशासन संयम के द्वारा संचालित होता है. प्रात:काल सामूहिक जिनेंद्र पूजन के पश्चात तत्वार्थसूत्र के षष्ठ अध्याय की व्याख्या भी सीए अरिहंत पाटनी, जैन ने की तथा आत्मा में कर्मों के आगमन के कारणों की मीमांसा की. संध्याकालीन धर्मसभा को संबोधित करते हुए विद्वान मनीषी अरिहंत पाटनी ने कहा कि जैन धर्म में संयम का सर्वोपरि स्थान है. जिस जीव ने अपनी आत्मा में संयम के संस्कार डाल लिये हैं वो जीव शीघ्र ही आगामी भवों में अक्षय सुखों को प्राप्त करता है. मनुष्य जीवन में संयम का विशेष स्थान है क्योंकि संयम देव और नरक पर्याय में ग्रहण नहीं किया जा सकता. मनुष्य ही एक ऐसा जीव है जो पांचों इंद्रियों के विषयों को स्वेच्छा से छोड़कर संयमित हो सकता है. छोटे से नियम को पालकर भी जीवन आगामी भवों में मोक्ष को प्राप्त कर सकता है, जैन आगम में ऐसे अनेक उदाहरण उपलब्ध हैं.

उन्होंने कहा कि संयम का अर्थ केवल अभक्ष्य वस्तुओं का त्याग ही नहीं बल्कि कषायों का त्याग है. तामसिक प्रवृति के आहार से मनुष्य को बचना चाहिये. जैन धर्म ऐसा मानता है कि मृत्यु पूर्व यदि संयम ले लिया जाय और उसका निरतिचार पूर्वक पालन करने से अंत समय में शारीरिक बीमारियों से तो बचा ही जा सकता है और उनके संस्कारों से शीघ्र ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है. सीधे एवं सरल भाषा में हम कह सकते हैं कि पंचेंद्रिय के विषयों से सीमित अवधि अथवा आजीवन विमुख हो जाना ही उत्तम संयम धर्म है. अजीत पाटनी ने बताया कि गुरुवार (24 सितंबर) को उत्तम तप दिवस की पूजा आराधना की जायेगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel