थीम : ”शब्दो” (ध्वनि)
बागुईहाटी रेलपुकुर यूनाइटेड क्लब अपने 72वें वर्ष में आगंतुकों को मंत्रमुग्ध करने की तैयारी में जुटा है
कोलकाता. बागुईहाटी रेलपुकुर यूनाइटेड क्लब अपने 72वें वर्ष में विचारोत्तेजक थीम – ”शब्दो” (ध्वनि) के साथ आगंतुकों को मंत्रमुग्ध करने की तैयारी में जुटी है. यह थीम प्रकृति और रोजमर्रा की जिंदगी की उन लुप्त होती ध्वनियों को मंडप में पेश करेगी, जो कभी हमारे अस्तित्व को परिभाषित करती थीं, लेकिन अब शहरी अराजकता में यह ध्वनि लुप्त होती जा रही हैं. इस संबंध में क्लब के कार्यकारिणी समिति के सदस्य गौरव विश्वास ने कहा कि एक जमाने में, पक्षियों की आवाजें हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग हुआ करती थीं. सुबह होते ही, पक्षियों की चहचहाहट, उगते सूरज का स्वागत करती थी, और शाम ढलते ही, उनकी आवाजें घर वापसी का संकेत देती थीं. रात के सन्नाटे में भी, उल्लू और निशाचर पक्षी अपनी आवाजों से सन्नाटे को चीरते थे. हालांकि, आजकल ऐसी आवाजें हमारे आसपास बेहद कम सुनायी देती हैं. इस थीम के माध्यम से क्लब के अधिकारी इस बात पर प्रकाश डालने की कोशिश कर रहे हैं कि, कैसे तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने, पेड़ों की बेतहाशा कटाई और कंक्रीट की ऊंची इमारतों के निर्माण ने प्राकृतिक आवासों को नष्ट कर दिया है. पक्षी, जो आश्रय के लिए पेड़ों पर निर्भर थे, धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं और उनके साथ उनकी आवाजें भी अब हमसे दूर हो रही हैं. इस संदेश को जीवंत करने के लिए पूजा मंडप में आकर्षक प्रतिष्ठानों की एक श्रृंखला होगी, जिसमें पक्षियों का 20 फीट ऊंचा कलात्मक चित्रण भी शामिल होगा, जो प्रकृति की भव्यता और हमारे शहरी जीवन में उसकी लुप्त होती उपस्थिति का प्रतीक है. मनमोहक ध्वनि परिदृश्यों के साथ, इस अनुभव में पक्षियों की अंतरात्मा की आवाज और मानवता से उनकी मौन विनती को दर्शाने वाले माइम प्रदर्शन भी शामिल होंगे. उन्होंने बताया कि पक्षियों की खामोश चीखों को स्वर देने के लिए, कलाकार शुभेंदु मुखोपाध्याय और कौशिक विश्वास अपनी दमदार प्रस्तुतियां देंगे. इस भव्य पंडाल का निर्माण बापी दास की विशेषज्ञता में किया जा रहा है और समीरन जाना इस भव्य रचना के हर विवरण को कैद करने के लिए छायांकन और संपादन का काम संभालेंगे.
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