चिकित्सक एक- मरीज अनेक, उपचार से वंचित रह जाते हैं रोगी
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राम भरोसे खड़गपुर नगरपालिका अस्पताल
चिकित्सक एक- मरीज अनेक, उपचार से वंचित रह जाते हैं रोगी समय से नहीं खुलने और समय से पहले बंद हो जाने से होती है परेशानी खड़गपुर : खड़गपुर नगरपालिका के वार्ड 35 के ताल बगीचा हॉस्पिटल मैदान में स्थिति नेशनल अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर इन दिनों लोगों मे चर्चा का विषय बना हुआ है. […]
समय से नहीं खुलने और समय से पहले बंद हो जाने से होती है परेशानी
खड़गपुर : खड़गपुर नगरपालिका के वार्ड 35 के ताल बगीचा हॉस्पिटल मैदान में स्थिति नेशनल अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर इन दिनों लोगों मे चर्चा का विषय बना हुआ है. इसका संचालन खड़गपुर नगरपालिका करती है. ताल बगीचा, दिनेशनगर, सोमपेटा बस्ती, रवींद्रपल्ली, समस्यापुर और डीवीसी सहित कई इलाकों के लोगों की चिकित्सा का भर इसी पर है, लेकिन अस्पताल को इन दिनों मर्ज़ी के मुताबिक खोलने और बंद करने के आरोप लोगों द्वारा लगाये जा रहे हैं.
अस्पताल परिसर में लगाये गये बोर्ड में अस्पताल के खुलने का समय सुबह दस बजे और बंद होने का समय दोपहर तीन बजे है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से अस्पताल निर्धारित समय के बाद खुलता है और समय से पहले बंद हो जाता है, जिससे अस्पताल में उपचार कराने आये रोगियो और उनके परिजनो को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. अस्पताल में वर्तमान में एकमात्र चिकित्सक डॉ एसए खान हैं. गौरतलब है कि डॉ खान चौधरी खड़गपुर महकमा अस्पताल से रिटायर्ड हो चुके हैं. खड़गपुर शहर के कौशल्या मोड़ और मादपुर में उनका नर्सिंग होम भी है.
अस्पताल में चिकित्सा कराने आये मरीज गौरी हांसदा, लक्खी मुर्मू, सपन घोष और जगन राव ने बताया कि वे उपचार के लिए सुबह नौ बजे ही आ गये, लेकिन साढ़े ग्यारह बज गये हैं, लेकिन अस्पताल अभी तक नहीं खुला है. वहीं कुछ लोगों ने बताया कि अस्पताल अधिकतर समय अपने निर्धारित समय से दो घंटे पहले ही बंद हो जाता है और वे उपचार कराने से वंचित रह जाते हैं. अधिकतर मरीजों का आरोप है कि चिकित्सक अस्पताल में कम और अपने नर्सिंग होम में अधिक समय देते हैं.
क्या कहते हैं चेयरमैन व पार्षद
वार्ड 35 के पार्षद जवाहरलाल पाल का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नही हैं. फिर भी मामले की तहकीकात करेंगे. वहीं खड़गपुर नगरपालिका के वाइस चेयरमैन का कहना है कि अस्पताल रोगियों के उपचार के लिए बनाया गया है. अगर कोई रोगी उपचार से वंचित रह जाता है तो इससे बड़ी दुख की बात क्या हो सकती है. रोगी और उनके परिजन इस बारे में शिकायत करते हैं तो मामले की जांच होगी और अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ उचित कानूनी कारवाई की जायेगी.
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