21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कैब होने के बाद डर के साये में नहीं जीना पड़ेगा

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के सीमावर्ती इलाके में रहनेवाले हिंदू शरणार्थियों की निगाहें नागरिकता संशोधन विधेयक पर टिकी हुई हैं. बांग्लादेश में एक हिंदू परिवार में जन्म लेनेवाला ज्योतिर्मय कक्षा नौ में पढ़ता है. बीते एक दशक से वह भारत में शरणार्थी की तरह रह रहा है. ज्योतिर्मय जैसे ही […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के सीमावर्ती इलाके में रहनेवाले हिंदू शरणार्थियों की निगाहें नागरिकता संशोधन विधेयक पर टिकी हुई हैं. बांग्लादेश में एक हिंदू परिवार में जन्म लेनेवाला ज्योतिर्मय कक्षा नौ में पढ़ता है. बीते एक दशक से वह भारत में शरणार्थी की तरह रह रहा है. ज्योतिर्मय जैसे ही लोग हैं जिनका भाग्य नए नागरिकता संशोधन बिल (कैब) से तय होगा. यह बिल सोमवार को लोकसभा में पास किया जा चुका है.

ज्योतिर्मय की 36 वर्षीय मां बारीशाल (बांग्लादेश) में अपना ससुराल छोड़कर बेहतर जीवन की उम्मीद से भारत आ गयी थी और फिलहाल बनगांव इलाके में रह रही हैं. ज्योतिर्मय की मां का कहना है कि उसके पति के दूसरी शादी कर लेने के बाद उसके सामने और कोई विकल्प नहीं बचा था. मेरा बेटा उस वक्त काफी छोटा था. हमें कंटीले तार को पार करना पड़ा. मैं घायल हुई, लेकिन मुझे एक ही बात पता थी और वह थी कि अगर मैं सरहद पार करने में कामयाब हुई, तो मैं बच जाऊंगी. हम बच जायेंगे.

जिंदगी बांग्लादेश में भी आसान नहीं :
बीते एक दशक से मां-बेटा कोलकाता से 50 किलोमीटर दूर बनगांव में एक परिवार के साथ रह रहे हैं. दोनों गुजारा करने के लिए घरेलू नौकर के तौर पर काम करते हैं. ज्योतिर्मय की मां ने कहा : हमें सतर्कता के साथ जीना पड़ रहा है, हमारे पास दस्तावेज नहीं है, ये आसान नहीं है. ये सब कहते हुए विदेशी जमीन पर अवैध प्रवासी के तौर पर रहने का डर साफ झलक रहा था. इसके अलावा हर दिन ये डर भी सताता रहता है कि कहीं पहचान ना लिए जायें और डिटेंशन सेंटर में ना भेज दिये जायें.
ज्योतिर्मय की मां का कहना है कि जिंदगी बांग्लादेश में भी आसान नहीं थी. अल्पसंख्यक समुदाय होने की वजह से वहां हर दिन धार्मिक उत्पीड़न के डर का सामना करना पड़ता था. वहां मुझे कौन नौकरी देता? हम लगातार डर के साये में रहते थे. मेरे पति पर एक बार हमला भी हुआ और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. हमारे जैसे कई बांग्लादेश से भाग आये.
ये मेरा देश है, मेरे बेटे का यहां है भविष्य :
ज्योतिर्मय की मां का कहना है कि अगर भारत सरकार उसे प्रामाणिक नागरिक की पहचान देती है, तो सरहद पार करना सफल हो जायेगा और वह अपने बेटे के साथ सम्मान की जिदंगी सुरक्षित कर सकेगी. ये मेरा देश है, मेरे बेटे का यहां भविष्य है. मैं क्यों वापस जाऊंगी. ये जानना दिलचस्प है कि बिना किसी दस्तावेज के भी ज्योतिर्मय की मां ने अपना और बेटे का आधार कार्ड बनवा लिया, लेकिन कैब ने उसकी मां की आखों में उम्मीद की किरण देखी जा सकती है. वो कहती है : मुझे पूरी आस है. अब हमें डर के साये में नहीं जीना पड़ेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें