कोलकाता: आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने खुले स्थान पर सूखने वाले कपड़ों से बिजली बनाने की तकनीक विकसित की है. इस शोध टीम को लीड कर रहे प्रो. सुमन चक्रवर्ती का कहना है कि हमारा आविष्कार भले ही बड़े पैमाने पर उर्जा की आपूर्ति नहीं कर सकता लेकिन इतना तय है कि ग्रामीण समुदाय की जिंदगी में जरूर बदलाव ला सकता है.
इस प्रक्रिया से पैदा होगी बिजली
अपने शोध के बारे में प्रो. सुमन चक्रवर्ती ने बताया कि कपड़े सेल्यूलोज फाइबर से बने होते हैं जिनकी दीवारों में उर्जा होती है. उन्होंने बताया कि यदि नमक के घोल में कपड़े का एक टुकड़ा डुबाते हैं तो इसकी उर्जा फाइबर और आइओनिस के माध्यम से बह जाएगा. इसी प्रक्रिया से कपड़ों से उर्जा उत्पन्न होती है.
Prof S Chakraborty: We have up-scaled this mechanism of generation of power by taking our technology to 'Dhobi Ghat' where washermen dry clothes. This power may not be good enough for large scale application but is good enough to change lives of rural community at large. (03.11) pic.twitter.com/hWFRzV6xPa
— ANI (@ANI) November 4, 2019
ग्रामीण जिंदगी को बदलने की क्षमता
प्रो. सुमन चक्रवर्ती ने बताया कि वे अपनी तकनीक को धोबी घाट तक ले गए जहां कपड़े सुखाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमने कपड़ों से बिजली बनाने की तकनीक विकसित कर ली है. उनका कहना है कि हमारी तकनीक भले ही बड़े पैमाने पर उर्जा पैदा करने के लिए नाकाफी है लेकिन इसमें ग्रामीण समुदाय के जीवन को बदलने की क्षमता जरूर है.