कोलकाता : पूरा बंगाल जब मां दुर्गा की आराधना में मग्न है. इसी बीच महा अष्टमी के दिन कोई कुमारी कन्या को मातृ रूप में सुशोभित करके पूजा करने का विधान है और इसका आध्यात्मिक रहस्य यही है कि जीवन में पवित्रता का आचरण और ब्रह्मचर्या की पालन कोई भी मानव को देवतुल्य बना सकता है.
नवरात्रि की नौ देवियों में से देवी का एक रूप ब्रह्मचारिणी का भी पूजन होता है, लेकिन यह कुमारी पूजा या मां ब्रह्मचारिणी की पूजा साल भर में एक या दो बार ही किया जाता है और वह भी केवल एक रिवाज के तौर पर, लेकिन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय एक ऐसी संस्था है. जहां सिर्फ एक नहीं बल्कि हजारों लाखों कन्या मानव कल्याण हेतु कुमारी जीवन को ना कि सिर्फ अपनाया बल्कि यह सारी कुमारिया मातृत्व, देवत्व की जीती जागती मिसाल हैं.
ऐसी महान आत्माओं के प्रति अपना दिल का उद्गार व्यक्त करने के लिए ब्रह्माकुमारीज की बरानगर शाखा में करीब 100-150 सदस्य भाई-बहन संस्था की 9 राजयोगिनी शिक्षिका बहनों को मातृ रूप में सुशोभित करके आरती तथा नृत्य-गीत के माध्यम से वंदना की. इस अवसर पर अभिज्ञ राजयोगिनी शिक्षिकाएं सभी को अपने जीवन में पवित्रता, सकारात्मकता, दया, क्षमा, रहम, प्यार ऐसी कई सारी दिव्य गुणों से स्वयं को भी सुशोभित करने की प्रेरणा दिया.